शबनम हाशमी ने ‘पीट पीटकर हत्याओं पर’ लौटाया राष्ट्रीय अल्पसंख्यक अधिकार पुरस्कार
नई दिल्ली (भाषा)। प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने आज हाल में भीड़ द्वारा ''पीटपीटकर हत्याओं'' की घटनाओं के विरोध में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक अधिकार पुरस्कार वापस कर दिया। इस तरह की ताजा घटना राष्ट्रीय राजधानी के पास की है, जिसमें एक मुस्लिम किशोर की मौत हो गई थी। वर्ष 2008 में इस पुरस्कार से सम्मानित शबनम ने कहा कि यह पुरस्कार देने वाला राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ''अपनी पूरी विश्वसनीयता खो चुका है।'' उन्होंने आयोग के प्रमुख पर उनके ' 'निंदनीय बयानों'' को लेकर निशाना साधा।
आयोग प्रमुख गयोरुल हसन रिजवी हाल में उस समय विवादों में फंस गये थे, जब उन्होंने कहा था कि भारत के खिलाफ चैंपियंस ट्राफी में पाकिस्तान की जीत पर जश्न मनाने वालों को पाकिस्तान ''भेजा जाना'' चाहिए। शबनम ने आयोग को लिखे पत्र में कहा, ''मैं अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों पर हमले और हत्याओं एवं सरकार द्वारा पूरी तरह से निष्क्रियता, उदासीनता और हिंसक गिरोहों को मौन समर्थन के विरोध में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक अधिकार पुरस्कार वापस करती हूं, जो अपनी पूरी विश्वसनीयता खो चुका है।'' इससे करीब दो वर्ष पहले कई लेखकों, फिल्म निर्माताओं और वैज्ञानिकों ने गौमांस खाने की अफवाह को लेकर उत्तर प्रदेश में मोहम्मद अखलाक की पीट-पीटकर हत्या के बीच राष्ट्रीय पुरस्कार लौटाए थे।
ये भी पढ़ें : मुख्यमंत्री के रूप में योगी सरकार के हुए 100 दिन, कुछ वादे पूरे कई अब भी अधूरे
इससे पहले उन्होंने आयोग जाकर इसके निदेशक टीएम सकारिया को पुरस्कार तथा प्रशस्ति पत्र लौटाया। शबनम ने कहा कि उन्होंने रिजवी से भी संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन वह उपलब्ध नहीं थे। इस पुरस्कार में 2011 से पहले कोई नकद राशि नहीं मिलती थी और इसमें प्रशस्ति पत्र ही मिलता था। हालांकि 2011 में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने इसके साथ दो लाख रुपये (व्यक्ति) और पांच लाख रुपये (संगठन) देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इस प्रशस्ति पत्र में लिखा था कि हाशमी ने 2002 दंगों के बाद गुजरात में और इसके अलावा कश्मीर में सराहनीय कार्य किया।
संबंधित खबर : श्रीनगर में भीड़ ने पुलिस अधिकारी को पीट-पीटकर मार डाला
यह पुरस्कार हर साल 18 दिसंबर को अल्पसंख्यक अधिकार दिवस के मौके पर दिया जाता है। वर्ष 2013 में इस में विवाद पैदा हो गया था जब यह पुरस्कार ओडिशा में 2002 कंधमाल दंगों के खिलाफ अभियान चलाने वाले फादर अजय कुमार सिंह को दिया गया था। राज्य सरकार ने इस फैसले पर आपत्ति जताई थी। इसी महीने शबनम ने उनके द्वारा बनाए गए एनजीओ 'अनहद' के न्यासी पद से इस्तीफा दे दिया था। गृह मंत्रालय ने पिछले वर्ष एनजीओ का विदेशी चंदा लाइसेंस ''जनहित के खिलाफ अनुचित क्रियाकलाप'' का हवाला देते हुए रद्द कर दिया था।
ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।