मुजफ्फरपुर: मौत को मात देकर लौटे घर भाई बहन

Update: 2019-06-21 07:15 GMT

मुजफ्फरपुर। बिहार में चमकी बुखार का आतंक कम होने का नाम नहीं ले रहा है। मरने वाले बच्चों की संख्या 120 से अधिक पहुंच गई है। इस बीच कुछ सुकून देने वाली खबरें भी सामने आ रही हैं। डॉक्टर की कोशिशों और मां बाप की दुवाओं का असर हो रहा है। कुछ बीमार बच्चे मौत को मात दे रहे हैं और स्वस्थ होकर अपनों के बीच पहुंच रहे हैं।

मुजफ्फरपुर जिले से करीब 10 किलोमीटर दूर मुशहरी प्रखंड के गांव नेउरा के रहने वाली मुन्नी देवी (50वर्ष) के पोता गुड्डू (3वर्ष)और पोती मेघा (डेढ़ वर्ष) को चमकी बुखार हो गया था। लेकिन डॉक्टरों की कोशिश से दोनों स्वस्थ होकर घर आ गये हैं। मुन्नी देवी के खुशी का ठिकाना नहीं हैं। जिससे मिलती हैं, कहती हैं हमार बच्चा सब ठीक होकर घर आ गया। भगवान सबका बच्चा को ठीक करे।

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मुन्नी देवी ने बताया," 17 तारीख की रात में सब कोई खा पीकर सोने चला गया। भोर में करीब 4 बजे हमरा पोता गुडडू को बहुत जोर से बुखार हो गया। हाथ पैर टेढ़ा होने लगा। गुड्डू की मां खूब जोर से रोने लगी। आवाज सुनकर भागकर अंदर गयी। खटिया पर लेटा गुडडू पसीना से भीगा हुआ था। सांस भी जोर जोर से चल रही है। जल्दी से पड़ोस वाले बचवा की। बाइक से इसे लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंची। डॉक्टर ने इसे इमरजेंसी में भर्ती कर दिया। शाम तक कुछ तबियत ठीक हो गया।"

राजा, तस्‍वीर- चंद्रकांत म‍िश्रा


"अभी गुडडू पूरी तरह ठीक भी नहीं हुआ था, तबले इसकी छोटी बहिन मेघा को भी चमकी हो गया। उसकी माँ रोते हुए मेघा को लेकर मेडिकल पहुँची। दोनों बचवा लोग को डॉक्टर साहब पानी चढ़ाने लगे। हम सब का बहुत बुरा हाल हो गया। हमरी बहू तो जैसे पागल हो गई थी। उसका रोना बंद ही नहीं हो रहा था। आप समझ सकते हैं जिसके दो दो बच्चे अस्पताल में भर्ती हो उस महतारी पर क्या बीत रही होगी।" इतना कहते कहते उनकी आंखों में आंसू आ गए।

दो दिन इलाज चलने के बाद दोनों बच्चे स्वस्थ होकर घर आ चुके हैं। मुन्नी देवी दोनों बच्चों को पूरे दिन कलेजे से चिपकाई रहती हैं। डॉक्टर के बताई बातों का ख्याल रख रहीं हैं।

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इसी गांव के रहने वाले राजा (7) को भी चमकी बुखार हो गया था। राजा की मां मधु देवी ने बताया, "13 तारीख के रात में दावत खाकर मेरा बेटा आया था। रात में अचानक से उसे तेज बुखार हो गया। हाथ पैर मुड़ने लगे। रात भर उसे गोद मे लेकर रोती रही। सुबह 5 बजे टैम्पू पकड़कर मेडिकल कॉलेज पहुँची। हमरा बेटा दो दिन तक बेहोश पड़ा रहा। दो दिन बाद उसने आंख खोली। मैं पास में थी।

बोला भूख लगी है। इतना सुनते मैं रोने लगी। वहाँ खड़ी नर्स ने मुझे हिम्मत बढ़ाया। बोली आपका बेटा ठीक हो गया है। मत रोइये। अगले दिन उसे लेकर हम लोग घर आ गए। तीन दिन तक हमरे घर में किसी ने कुछ नहीं खाया था। हर कोई बच्चा के ठीक होने की दुआ मांगता रहा। आखिर भगवान ने हमारी सुन ली। हमरा बच्चा आब निम्मन है।"

ये है आकड़ें...

मेडिकल सुप्रिटेंडेंट डॉ. सुनील शाही के अनुसार, एक जनवरी से 20 जून तक के आंकड़े के अनुसार मेडिकल कॉलेज में 402 बच्चे एडमिट हुए थे। इनमें से 162 बच्चे स्वस्थ होकर जा चुके हैं, वहीं 100 बच्चों की मौत हो गई है, 140 अभी एडमिट हैं।

वहीं केजरीवाल अस्‍पताल में 154 बच्‍चों में से 47 को रेफर किया गया। जबकि 45 बच्‍चे स्‍वस्‍थ्‍य होकर घर चले गए। वहीं 28 बच्‍चों का अभी भी इलाज चल रहा है। वहीं आज एक बच्‍चे की जान गई है। आकड़ों के अनुसार बीते 2 दिनों में 20 बच्‍चों की मौत हुई है। अभी भी 4 बच्‍चों की हालत गंभीर बनी हुई है।

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