बीफ और गोहत्या बंद कराने की मांग करने वाले अजमेर दरगाह के दीवान पद से हटाए गए

Update: 2017-04-05 16:12 GMT
अजमेर दरगाह के हटाये गए दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान।

नई दिल्ली। गोहत्या के खिलाफ इस्लामी धर्मगुरु व अजमेर शरीफ के दीवान सैयद जैनुल आबेदीन को मानवता व भाईचारे का बयान देना महंगा पड़ गया है। उन्हें मुसलमानों से बीफ छोड़ने और केंद्र सरकार से देशभर में बीफ बैन करने की मांग करने के मामले में अजमेर शरीफ दरगाह के दीवान के पद से हटा दिया गया है। सैयद जैनुल आबेदीन के बयान से नाराज होकर उनके भाई अलाउद्दीन आलिमी ने ही उन्हें दीवान के पद से हटाने का ऐलान कर खुद को दीवान घोषित कर दिया है।

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आपको बता दें कि गोहत्या के खिलाफ भाजपा की ओर से चलाए जा रहे अभियान को लेकर सैयद जैनुल आबेदीन ने कहा था कि बीफ खाने पर प्रतिबंध लगना चाहिए। यही नहीं सरकार को गौहत्या के खिलाफ कानून बनाना चाहिए।

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अजमेर शरीफ के प्रमुख का यह बयान ऐसे समय पर आया, जब उत्तर प्रदेश समेत देश के अन्य कई राज्यों में अवैध बूचड़खानों को सील किया जा रहा है। उन्होंने 31 मार्च को गुजरात विधानसभा में पास किये गए गौरक्षा कानून की भी सराहना की थी। जिसमें गौहत्या का दोषी पाए जाने पर उम्रकैद की सजा दिए जाने का भी प्रावधान किया गया है। गुजरात विधानसभा में पास किए गए एक्ट के मुताबिक, बीफ के ट्रांसपोर्ट में शामिल कोई भी शख्स या इससे जुड़े अन्य किसी अपराध में दोषी पाए जाने पर 100000 रुपये से 500000 रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है।

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