लखनऊ। लोकसभा में शुक्रवार को तीन तलाक बिल पेश किया जाएगा। यह बिल पिछली दफा लोकसभा से पारित कर दिया गया था, लेकिन राज्यसभा में लंबित रह गया था। इसके बाद 16वीं लोकसभा का कार्यकाल पूरा होने के बाद पिछला विधेयक निष्प्रभावी हो गया था।
बता दें, गुरुवार को ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए तीन तलाक और हलाला जैसी कुरीतियों को खत्म करने की बात कही थी। सरकार ने सितंबर 2018 और फरवरी 2019 में दो बार तीन तलाक अध्यादेश जारी किया था। इसका कारण यह है कि लोकसभा में इस विवादास्पद विधेयक के पारित होने के बाद वह राज्यसभा में लंबित रहा था।
मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अध्यादेश, 2019 के तहत तीन तलाक के तहत तलाक अवैध, अमान्य है और पति को इसके लिए तीन साल तक की कैद की सजा हो सकती है। हालांकि पिछली बार ज्यादातर विपक्षी पार्टियां पति को जेल भेजने जैसे सख्त प्रावधान के खिलाफ थीं. उन्होंने तर्क दिया कि एक घरेलू मामले में सजा के प्रावधान को पेश नहीं किया जा सकता और यह बिल मुसलमानों को पीड़ित करने वाला होगा।
वहीं, मोदी सरकार का कहना था कि यह बिल लैंगिक समानता व लैंगिक न्याय सुनिश्चित करेगा। साथ ही शादीशुदा मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करेगा और 'तलाक-ए-बिद्दत' को रोकेगा।
जेडीयू करेगी बिल का विरोध
वैसे तो नीतीश कुमार की जेडीयू बीजेपी के साथ गठबंधन में है, लेकिन तीन तलाक के मुद्दे पर उनके बीजेपी के विरोध में भी है। बिहार के मंत्री श्याम रजक ने कहा, ''जेडीयू इसके विपक्ष में है और हम लगातार इसके खिलाफ खड़े रहेंगे।" उनका कहना है कि ''यह एक सामाजिक मुद्दा है और समाज के जरिए इसका हल निकाला जाना चाहिए।''