वन्य प्राणियों में भी कोरोना संक्रमण का खतरा, एडवाइजरी के बाद रिजर्व पार्क के अंदर के गांवों में आवाजाही बंद

Update: 2021-05-04 14:17 GMT

पन्ना टाइगर रिज़र्व में जल विहार करता बाघ परिवार। फोटो - अरुण सिंह

पन्ना (मध्य प्रदेश)। कोरोना वायरस के संक्रमण का कहर शहरों के साथ-साथ अब ग्रामीण इलाकों में भी दिखने लगा है, जिससे वन्य प्राणियों में भी संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। इस खतरनाक वायरस के संक्रमण से हैदराबाद में 8 शेरों के संक्रमित होने के बाद केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय सभी राज्यों को एडवाइजरी जारी की गई है। रिजर्व क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों की टेस्टिंग और सीमा में आने वाले गांवों में आवाजाही रोकने के निर्देश दिए गए हैं।

वन्य प्राणियों में संक्रमण के खतरे को देखते हुए मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में भी वन अमले को हाई अलर्ट किया गया है। पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने गांव कनेक्शन को बताया कि "कोरोना कर्फ्यू लगने के साथ ही 16 अप्रैल से पन्ना टाइगर रिजर्व में पर्यटकों के भ्रमण पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। यहां बाघों की मॉनिटरिंग की व्यवस्था शुरू से ही लागू है। कैमरा ट्रैप से भी मॉनिटरिंग होती है, जिसकी साप्ताहिक रिपोर्ट हमारे पास आती है।"

उत्तम शर्मा ने माना कि केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा सभी राज्यों को जारी की गई एडवाइजरी में संक्रमण से एक शेर की मौत का जिक्र है लेकिन यह मौत कहां हुई है इस बात का खुलासा नहीं किया गया।

वहीं 4 मई को जारी एक बयान में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने कहा कि हैदराबाद के चिड़ियाघर में रह रहे सार्स-कोव-2 से संक्रमित एशियाई शेर अच्छी तरह से स्वस्थ हो रहे हैं। नमूनों के विश्लेषण से पता चला है कि किसी भी प्रकार के चिंतिति करने वाले वायरस के स्वरूप से संक्रमण नहीं हुआ है। साथ ही इस बात का कोई तथ्यात्मक प्रमाण नहीं है कि जानवर किसी भी तरह से मनुष्यों तक बीमारी का संचार कर सकते हैं। मंत्रालय ने इस संबंध में सभी समाचार माध्यमों को गंभीरता से रिपोर्टिंग की सलाह भी दी है।

हैदराबाद के नेहरू जूलॉजिकल पार्क (एनज़ेडपी) में रखे गए ऐसे आठ एशियाई शेरों के नमूनों (नाक, गले और श्वसन तंत्र से एकत्र किए गए) को चिड़ियाघर प्रशासन ने 24 अप्रैल 2021 को सावधानी के रूप में, सीसीएमबी-एलएसीलोएनईएस के साथ साझा किया था, जिनमें सांस की परेशानी के लक्षण दिखाई दिए थे। सीसीएमबी-एलएसीलोएनईएस द्वारा 4 मई 2021 को साझा किए गए विस्तृत ​​परीक्षणों और रिपोर्ट के आधार पर, अब यह पुष्टि हो गई है कि हैदराबाद के नेहरू जूलॉजिकल पार्क (एनज़ेडपी) में रखे गए आठ एशियाई शेर सार्स-कोव 2 वायरस से संक्रमित हैं। उनकी सेहत में सुधार हो रहा है। इसके साथ ही केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने सार्स-कोव-2 के मामलों की बढ़ती संख्या के मद्देनज़र चिड़ियाघरों के लिए चिड़ियाघरों द्वारा सुरक्षा के दिशा-निर्देश और सलाह जारी करने सहित कई उपाय पहले से ही किए हैं। 


पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालन ने बताया कि, "पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में तीन गांव ढोढन, पलकोंहा व खरियानी आते हैं, जहां आवागमन पर पूरा नियंत्रण हमारे पास है। इन ग्रामों में बाहरी कोई भी व्यक्ति नहीं जा सकता। इसके साथ ही टाइगर रिजर्व की सीमा से लगे 50 से ज्यादा गांवों में विशेष निगरानी शुरु की गई। अलर्ट जारी किया गया है।"

पन्ना टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में 100 से अधिक गांव हैं। वन कर्मियों को हिदायत दी गई है कि वो जंगल के अंदर भी हमेशा मॉस्क पहने और वन्य प्राणियों के दूर रहे, बंदर आदि को किसी तरह का पदार्थ न खिलाएं। वन और रिजर्व पार्क के कर्मचारियों के साथ ही आसपास के ग्रामीणों को जागरुक करने के लिए कहा गया है।

एडवाइजरी में क्या है दिशा निर्देश

केंद्रीय वन मंत्रालय के डीआईजी (वन्य जीव) राकेश कुमार जगेनिया ने 30 अप्रैल को सभी राज्यों के टाइगर रिजर्व व संरक्षित वन क्षेत्रों को जो एडवाइजरी जारी की है, उसके प्रमुख बिंदु ये हैं

1-नेशनल पार्क, सेंचुरी व संरक्षित वन क्षेत्रों में पर्यटन गतिविधि पर तत्काल रोक लगाई जाये।

2-मानव से वन्य प्राणियों में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने तत्काल जरूरी उपाय अमल में लाएं।

3.यह सुनिश्चित किया जाए कि वन क्षेत्रों में तैनात अमला कोरोना से संक्रमित न हो, उनकी रिपोर्ट निगेटिव होनी चाहिए। कोरोना गाइडलाइन का पालन करें तथा मास्क का उपयोग करें।

4.राष्ट्रीय उद्यान, सेंचुरी व संरक्षित क्षेत्रों में लोगों की आवाजाही पर रोक लगे।

5.हालातों पर प्रभावी नियंत्रण हेतु कमेटी का गठन करें।

6.यदि संक्रमण का कोई मामला पता चलता है तो उस वन्य प्राणी के समुचित इलाज की तत्काल व्यवस्था व ठीक होने पर उसे सुरक्षित उसके प्राकृतिक रहवास में छोड़ने के प्रबंध हों।

7.संक्रमण पर प्रभावी रोक हेतु क्या कदम उठाए गए इसकी जानकारी केंद्रीय वन मंत्रालय को दें।

रिपोर्ट- अरुण सिंह, पन्ना

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