लॉस एंजिलिस (भाषा)। केरल में बढ़ रहे थायरॉइड के मामलों की वजह से डॉक्टर चिंता में आ गए हैं। जहां एक तरफ इस बीमारी के बढ़ने की वजह साफ नहीं हो पा रही है वहीं इसकी वजह पड़ोसी राज्य स्थित कुडनकुलम परमाणु उर्जा संयंत्र को भी बताया जा रहा है।
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वैज्ञानिकों का कहना है कि यह मामला शायद केरल में रोगों की अत्यधिक पहचान करने से जुड़ा हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि केरल में भारत की कुछ सबसे अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं हैं। ऐसा माना जा रहा है कि भारत में रोगों की अत्यधिक पहचान करने का यह पहला मामला है और यह पहली बार है जब केरल में शीर्ष स्तर की स्वास्थ्य सेवाएं एक चुनौती पेश कर रहीं हैं।
साल 2006 और 2012 के बीच तिरुवनंतपुरम में महिलाओं में थायरॉइड कैंसर के मामले लगभग दोगुने हो गए थे। हाल ही में जारी हुई एक रिपोर्ट में अमृता इंस्टीट्यूट के कैंसर पंजीयक के मुताबिक सामने आए थायरॉइड कैंसर के 8586 मामलों पर एक साल में चिकित्सीय तौर पर ध्यान देना होगा। साथ ही आगामी दशक में हर साल महिलाओं में थायरॉइड कैंसर के नए मामलों की संख्या 2862 होगी।
ये हो सकती हैं वजह
थायरॉइड कैंसर के बढ़ते मामलों के पीछे एक वजह पर्यावरण भी बताई जा रही है। ऐसा कहा जा रहा है कि ये भी हो सकता है कि केरल में मौजूद थोरियम संपन्न मोंजाइट मिट्टी के कारण होने वाले विकिरण के प्रभाव से ये बीमारी हो रही है। ज्यादातर थायरॉइड कैंसर को विकिरण से जोड़ा जाता है। वहीं परमाणु-विरोधी कार्यकर्ताओं का कहना है कि पड़ोसी राज्य में स्थित कुडनकुलम परमाणु उर्जा संयंत्र है।
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