देखिए युग पुरुष अटल बिहारी वाजपेयी के 5 ऐतिहासिक भाषण

Update: 2018-12-25 07:15 GMT

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अब हमारे बीच नहीं हैं। अटल जी की गिनती विश्व के उन नेताओं में होती है जिनके भाषण सुनने की इच्छा सबको रहती थी चाहे वे पक्ष में हों या विपक्ष में। सुनिए उनके टॉप 5 भाषण :

1. मैँ मृत्यु से नहीं डरता, अगर डरता हूं तो बदनामी से डरता हूं: 28 मई 1996 को संसद में दिया भाषण

"मुझ पर आरोप लगाया गया और यह आरोप मेरे ह्दय में घाव कर गया कि मैंने पिछले 10 दिनों जो भी किया है वह सत्ता के लोभ के कारण किया है। पार्टी तोड़ कर सत्ता के लिए गठबंधन करना? अगर सत्ता हाथ में आती है तो में ऐसी सत्ता को चिमटे से भी छूना पसंद नहीं करूंगा। भगवान् राम ने कहा था-- मैँ मृत्यु से नहीं डरता अगर डरता हूं तो बदनामी से डरता हूं।"

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2. एक नई सदी और एक नया युग हमारे दरवाज़े पर दस्तक दे रहा है: सन 1999 में लाहौर दौरे का भाषण

"आज जब हम यहां एक-दुसरे से रूबरू हैं, एक नई सदी और एक नया युग हमारे दरवाज़े पर दस्तक दे रहा है। हमारी आज़ादी के 50 साल गुज़र गए। जहां हमें इस पर फक्र है, वहां थोड़ा सा अफसोस भी है। फक्र इसलिए क्योंकि दोनों मुल्कों ने अपनी-अपनी आज़ादी को बरकरार रखते हुए तरक्की की दिशा में कदम उठाये। लेकिन अफ़सोस इसलिए क्योंकि 50 साल के बाद भी हम गरीबी और बेरोज़गारी से निज़ात नहीं पा सके।"

वज़ीर-ए -आज़म साहब मैं आपका शुक्रिया अदा करता हूं कि इस तारीकी जगह पर मेरे दावत का इंतज़ाम किया है। यह वो शानदार किला है जिसकी गोद में शाहजहां ने जन्म लिया था, जहां अकबर ने अपनी ज़िन्दगी के 10 से भी ज्यादा साल गुज़ारे थे। आपने जिस गर्म-जोशी के साथ खैरमकदम और मेहमान नवाज़ी की है उससे मुझे और मेरे डेलिगेशन को बहुत ख़ुशी हुई है।

प्रधान मंत्री महोदय, पिछले 10 बरसों में हिंदुस्तान के किसी किसी वज़ीर ए आजम का ये पहला दौरा है। मुझे आपके बीच आकर बहुत ख़ुशी हुई है। जिस वक़्त मैंने यहां शाम के ढलते हुए सूरज का खूबसूरत नज़ारा देखा, उस वक़्त मेरे दिल में मिले-जुले जज़्बात उठे। मुझे इस बात के लिए खुशी थी कि मैं इतने वर्षों बाद फिर से अमन और दोस्ती का पैगाम लेकर आपके बीच में आ रहा हूं लेकिन अफ़सोस इसलिए था कि हमने इतना वक़्त आपसी रंजिश और कड़वाहट में बिता दिया। भारत और पाकिस्तान जैसे दो महान देशों के बीच 50 बरसों तक आपसी मन-मुटाव चलता रहे, ये शोभा नहीं देता। …लाहौर और दिल्ली के बीच बस का चलना सिर्फ दोनों मुल्कों के बीच आवाजाही को आसान बनाना नहीं है। दोनों देशों के बीच दौड़ती और उन्हें एक-दूसरे से जोड़ती ये बस दोनों मुल्कों के लोगों की इस चाह को प्रकट करती है कि हमारे सम्बन्ध सुधरें।"

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3. हमने अंतर्राष्ट्रीय दबाव में आकर कोई फैसला नही किया न कभी करेंगे: परमाणु परीक्षण (पोखरण) पर भाषण

50 साल का हमारा अनुभव क्या बताता है? क्या रक्षा के बारे में हमें आत्मनिर्भर नहीं होना चाहिए? केवल एक पडोसी नहीं है हमारे अनेक पडोसी हैं। इस समय यूरोप में क्या हो रहा है रहा है वह एक चेतावनी है। पोखरण-2 कोई पुरुषार्थ के प्रकटीकरण के लिए नहीं था। यह हमारी नीति है कि मिनिमम डिटरैंट होना चाहिए, वो क्रेडिबल भी होना चाहिए, इसलिए परिक्षण का फैसला किया गया। उसके कारन कठिनाइयां आएंगी हमें पता था। लेकिन देश ने सामना किया। आर्थिक प्रतिबन्ध हमें आगे बढ़ने से नहीं रोक सके। लेकिन परिक्षण के साथ हमने ये भी ऐलान किया- कि हम परमाणु हथियारों का प्रयोग पहले नहीं करेंगे।

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4.1996 में 13 दिनों की सरकार के खिलाफ लाए गए विश्वासमत प्रस्ताव पर बहस के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी का भाषण हंसी के साथ-साथ अपना संदेश भी दे गया:

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5. आपने अटल बिहारी वाजपेयी को गुस्से में भाषण देते बहुत कम देखा होगा। देखिए चारा घोटाले, भ्रष्टाचार और राष्ट्रपति शासन के बारे में उनके विचार संसद में दिए इस भाषण में:

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