मुजफ्फरपुर: "बच्चा लोग की डेड बॉडी उठाते हुए हाथ कांपने लगता है"

Update: 2019-06-19 05:55 GMT
तस्‍वीर- सीके मिश्रा

मुजफ्फरपुर। बिहार के मुजफ्फरपुर के मेडिकल कॉलेज में चमकी बुखार का तांडव जारी है। बच्चों की मौत से हर किसी की आंखें नम हैं। बीमार बच्चों को ट्रॉली से वार्ड तक पहुंचाने और मासूमों के शव को वार्ड से बाहर लाने वाले ट्रॉलीमैन की जुबान से एक ही बात निकल रही है "हे भगवान अब बस।"

मुजफ्फरपुर के SKMCH में काम करने वाले ट्रॉलीमैन सुरेंद्र कुमार (35वर्ष) ने लड़खड़ाती आवाज में कहा, "भइया अब हालात देखा नहीं जा रहा है। इतना बच्चों को दम तोड़ता देख कलेजा फट रहा है। बच्चा लोग की डेड बॉडी उठाते हुए हाथ कांपने लगता है। लेकिन किसी तरह खुद को मजबूत कर उन्‍हें लाते हैं। हम सब 30 आदमी लोग इस काम में लगे हुए हैं।"




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चमकी बुखार से बच्चों के मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। यहां की स्वास्थ्य सेवाएं पटरी से उतर चुकी हैं। लोगों में दहशत का माहौल है। हर कोई अपने जिगर के टुकड़े की सलामती के लिए दुआएं कर रहा है।

ट्रॉलीमैन राम नारायण (40 वर्ष) की आंखों में भय है। वह यहां के मंजर को देखकर डरा हुआ है। राम नारायण ने बताया, "मेरा घर भी यहां से 15 किमी दूर है। घर में छोटा-छोटा बच्चा है। दिनभर यहां बीमार बच्चों का आना और शव जाना देखकर मन डरा रहता है। रोज यही दुआ करके घर से निकलता हूं, हे भगवान मेरे बच्चों को कुछ न हो। मैं यहां बच्चों को ट्रॉली से वार्ड ले जाने और लाने में लगा रहता हूं, लेकिन मेरा मन घर पर बच्चों में लगा रहता है।"



उन्‍होंने आगे कहा कि इस समय 30 ट्रॉलीमैन लगे हुए हैं। शिफ्टों में अपनी ड्यूटी कर रहे हैं। इतनी संख्या में बच्चों का आना और जाना है कि ये भी कम पड़ गए हैं। बैठने की फुर्सत नहीं है।

ट्रॉलीमैन सुनीता कुमारी (32वर्ष) ने बताया,"सोचिए हम लोगों पर क्या बीत रही होगी। सुबह से शाम तक रोते बिलखते मां बाप को देखना। बीमारी से तड़पते बच्चों का चेहरा देखना। दिनभर यह सब देखते-देखते सपने में भी यही सब दिखाई देता है। सपने में भी यही देखते हैं कि, कोई कहा रहा है, जल्दी से इसे ऊपर वाले आईसीयू में लेकर जाओ। भाग के इस बॉडी को एम्बुलेंस तक छोड़ के आओ। यह सब देखकर बहुत दुख हो रहा है।

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