यूपी पंचायत चुनाव: हाईकोर्ट का फैसला, 2015 के आधार पर हो आरक्षण, सरकार से 10 दिन में मांगा जवाब

कोर्ट ने सरकार को 10 दिनों में जवाब दाखिल करने का आदेश भी दिया है। यूपी में होने वाले पंचायत चुनावों को लेकर 25 से 27 मार्च तक अधिसूचना जारी होनी थी।

Update: 2021-03-15 12:00 GMT
कोर्ट ने सरकार से 10 दिनों में जवाब मांगा है। फोटो : गाँव कनेक्शन

लखनऊ। उत्तर प्रदेश पंचायत चुनावों में सीटों के आरक्षण व्यवस्था पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा है कि वर्ष 2015 को मूल वर्ष मानते हुए सीटों पर आरक्षण लागू किया जाये। कोर्ट ने सरकार को 10 दिनों में जवाब दाखिल करने का आदेश भी दिया है। यूपी में होने वाले पंचायत चुनावों को लेकर 25 से 27 मार्च तक अधिसूचना जारी होनी थी।

आरक्षण की अंतिम सूची जारी होने के बाद आई आपत्तियों का निस्तारण कर जिला प्रशासन को अंतिम सूची जारी करनी थी। इस बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच ने आधार वर्ष का मुद्दा उठाने वाली एक याचिका पर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में सीटों के आरक्षण और आवंटन को अंतिम रूप देने की कार्रवाई पर 15 मार्च तक के लिए रोक लगा दी थी। अब आज सोमवार की सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया

उत्तर प्रदेश पंचायत चुनावों की आरक्षण प्रक्रिया पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 मार्च को रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट ने अजय कुमार नाम के व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया था जिसमें अजय कुमार ने पंचायत चुनावों में आरक्षण प्रक्रिया के आधार वर्ष पर आपत्ति जताई थी। अजय कुमार का कहना है कि 1995 के बाद से जिलों की भौगोलिक और जनसांख्यिकी स्थिति में बहुत परिवर्तन आया है, जबकि आरक्षण 1995 के आधार पर ही लागू हो रहा है।

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उन्होंने अपनी याचिका में 2015 के एक शासनादेश का भी हवाला दिया था जिसमें कहा गया था कि जिलों के भौगोलिक और जनसांख्यिकीय स्थिति में परिवर्तन आने के कारण अब पंचायत चुनावों में आरक्षण प्रक्रिया 2014-15 के आधार पर लागू होगी। लेकिन जब सरकार ने इस संबंध में शासनादेश जारी किया तो उसका आधार वर्ष 1994-95 ही था।

कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा, यहां पढ़ें-

अजय की जनहित याचिका में 1995 को आधार वर्ष मानकर आरक्षण तय करने को चुनौती दी गई थी। जिस पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने आरक्षण की फाइनल सूची जारी करने पर रोक लगा दी थी और आरक्षण की प्रक्रिया पर सरकार और राज्य चुनाव आयोग से जवाब मांगा था।

सुनवाई के दौरान यूपी सरकार के महाधिवक्ता ने कहा कि सरकार वर्ष 2015 को मूल वर्ष मानते हुए आरक्षण व्यवस्था लागू करने के लिए तैयार है। उत्तर प्रदेश सरकार के इस बयान पर जज ने 25 मई तक त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न कराने के आदेश पारित किए हैं।

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