यूपी : विधायक निधि बंद होने से मरीजों की भी मदद नहीं कर पाएंगे 'माननीय'

उत्तर प्रदेश में एक साल तक बंद रहेगी विधायक निधि, मरीजों के इलाज को 25 लाख रुपए तक दे सकते थे विधायक, जहां विधायक निधि पर एक साल पर प्रतिबंध बताया गया है तो सांसद निधि पर दो साल के लिए रोक लगाने की बात कही गई है।

Update: 2020-08-29 06:46 GMT
विधायक निधि के जरिये गंभीर मरीजों की मदद कर सकते हैं विधायक।

कन्नौज/लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। अब तक गंभीर रोगियों के इलाज में निधि से मदद करने वाले विधायकों और विधान परिषद सदस्य चाहकर भी आर्थिक मदद नहीं कर पाएंगे। कोविड-19 को लेकर शासन ने विधायकों की निधि एक साल के लिए बंद कर दी है। इससे विकास कार्य प्रभावित होने के साथ ही मरीज भी परेशान होंगे।

उत्तर प्रदेश में सभी विधायकों व विधान परिषद सदस्य को हर साल मरीजों के इलाज में मदद के लिए 25 लाख रुपए तक देने का नियम है, लेकिन एक साल के लिए निधि पर प्रतिबंध लगने से दिक्कतें शुरू होने लगी हैं।

हर विधायक को अपने क्षेत्र में विकास कार्य कराने के लिए एक साल में डेढ़ करोड़ रुपए मिलता रहा है। इसमें अधिकतम 25 लाख रुपए मरीजों के इलाज में मदद करने की छूट रहती है, लेकिन वैश्विक कोरोना महामारी के चलते विधायक निधि देने पर शासन ने एक साल यानी मार्च तक प्रतिबंध लगा दिया है। वर्ष 2020-21 में अब विधायकों को न तो 25 लाख रुपए मरीजों को देने के लिए मिलेंगे और न ही विकास कार्य के लिए बजट।

मरीजों की मदद के मामले में एमएलसी पुष्पराज जैन और विधायक सदर अनिल दोहरे ने सबसे अधिक मदद की है। आंकड़े बताते हैं कि मरीजों के लिए निर्धारित लक्ष्य तकरीबन खर्च हो चुका है। मरीजों के लिए विधायक तिर्वा कैलाश राजपूत और विधायक छिबरामऊ अर्चना पांडेय ने कम ही खर्च किया है। इन भाजपा विधायकों का कहना है कि वह मुख्यमंत्री सहायता कोष से मदद कराते हैं।


अप्रैल में कोरोना से बचने को दिया था बजट

जिला ग्राम्य विकास अभिकरण कन्नौज के आंकड़ों पर गौर करें तो विधायक सदर अनिल दोहरे ने 19.99 लाख रुपए, भाजपा विधायक छिबरामऊ अर्चना पांडेय ने 10 लाख, भाजपा विधायक तिर्वा कैलाश राजपूत ने 24.98 लाख और सपा से एमएलसी पुष्पराज जैन ने 15 लाख रुपए अपनी-अपनी निधि से कोविड-19 से बचने के लिए दिया था। हालांकि डीआरडीए ने पहली किस्त के रूप में 75 फीसदी बजट ही रिलीज किया था। बिल-वाउचर का सत्यापन होने के बाद ही दूसरी किस्त जाएगी।

सांसद निधि पर भी है प्रतिबंध

जहां विधायक निधि पर एक साल पर प्रतिबंध बताया गया है तो सांसद निधि पर दो साल के लिए रोक लगाने की बात कही गई है। डीआरडीए विभाग की मानें तो आदेश काफी दिन पहले ही आ गया था। इस बारे में डीआरडीए विभाग के पीडी सुशील सिंह 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "जब निधि ही नहीं आएगी तो विधायक खर्च कैसे कर पाएंगे? शायद ही कोई विधायक हो, जिसकी निधि में रुपया बचा हो। एक-दो में ही कुछ ही बजट बचा होगा।"

जबकि सपा के सदर विधायक अनिल दोहरे बताते हैं, "मरीजों के लिए मिलने वाला एक साल में 25 लाख रुपये सरकार को देते रहना चाहिए। इसमें शर्त लगा दें कि विधायक या एमएलसी कहीं और नहीं खर्च पाएंगे। इससे मरीजों की मदद होती रहेगी। उनके पास कई मरीज और तीमारदार आते रहते हैं, जो इलाज नहीं करा पाते।"

क्या कहते हैं भाजपा जिलाध्यक्ष

भाजपा जिलाध्यक्ष कन्नौज नरेंद्र राजपूत का कहना है कि कोरोना संक्रमण की वजह से विधायक निधि बंद हुई है, लेकिन अगर कोई गंभीर या असाध्य बीमारी से पीड़ित कोई मरीज आएगा तो मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से मदद कराने के लिए भेजेंगे। 

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