जानिए क्‍या है LEO सैटेलाइट, जिसे भारत ने मार गिराया

Update: 2019-03-27 07:33 GMT

लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार दोपहर 12 बजे राष्ट्र के नाम एक संदेश देते हुए बताया कि, ''भारत ने अपना नाम अंतरिक्ष महाशक्ति में दर्ज करा लिया है। अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत ऐसा चौथा देश बना है जिसने एलईओ 'लो अर्थ आर्बिट' में एक लाइव सैटेलाइट को मार गिराया है। सिर्फ तीन मिनट में यह ऑपरेशन पूरा किया गया, जिसे 'मिशन शक्ति' का नाम दिया गया।''

LEO सैटेलाइट का क्‍या मतलब

एलईओ का मतलब 'लो अर्थ ऑर्बिट' से है। पृथ्वी की सतह से 400 से 1,000 मील ऊपर की कक्षा को लो अर्थ ऑर्बिट कहा जाता है। इस कक्षा में बहुत से सैटेलाइट घूमते रहते हैं। टेकोपीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लो अर्थ ऑर्बिट में वो सैटेलाइट रहते हैं जिनका प्रयोग दूरसंचार में किया जाता है। मुख्य रूप से ईमेल, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और पेजिंग जैसे डेटा संचार के लिए इनका उपयोग होता है। रिपोर्ट के मुताबिक, ''LEO सैटेलाइट उन क्षेत्रों में दूरसंचार प्रणालियां को और बेहतर करती हैं जहां लैंडलाइन बिछाना महंगा या असंभव साबित हो रहा है।

LEO उपग्रहों का उपयोग इस लिए भी किया जाता है क्‍योंकि उपग्रहों को LEO में रखने के लिए कम ऊर्जा लगती है। हालांकि, इस वजह से लो अर्थ ऑर्बिट में बहुत भारी मात्रा में उपग्रह भेजे गए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसके परिणामस्वरूप लो अर्थ ऑर्बिट में सैटेलाइट्स का मलबा भी बहुत ज्‍यादा हो गया है।

नासा इस कक्षा में उपग्रहों की संख्या पर नज़र रखता है। उसके अनुमान के मुताबिक, इस कक्षा में एक सॉफ्टबॉल के जैसे करीब 8,000 से अधिक ऑब्जेक्ट हैं। ऐसा नहीं है कि ये सभी उपग्रह हैं। इनमें पुराने रॉकेट, जमे हुए सीवेज और टूटे हुए उपग्रहों के धातु के टुकड़े शामिल हैं।

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