नई दिल्ली। सरकार ने अपराधों के मामले में प्राथमिकी दर्ज होने से लेकर सजा दिये जाने तक की प्रक्रिया के विभिन्न स्तरों पर आंकड़ों को असान डिजिटल स्वरूप में एकीकृत करने की महत्वाकांक्षी योजना पर काम शुरू कर दिया है। इसके बाद देश का सारा अपराधों का डाटा एक जगह पर संग्रहित हो जाएगा।
विदेशों में इस तरह की प्रणाली गंभीर अपराधों की स्थिति में पुलिस और न्यायिक प्रक्रिया की बहुत मदद करती रही है। कानून मंत्रालय में न्याय विभाग ने देश में एक ‘एकीकृत आपराधिक न्याय सूचना प्रणाली’ को जल्द लागू करने पर जोर दिया है। मंत्रालय के अनुसार इस प्रक्रिया में किसी थाने में आपराधिक मामला दर्ज होने से लेकर जांच, अभियोजन, न्यायिक कार्यवाही, सजा सुनाने और अपील की प्रक्रिया के विभिन्न स्तरों से संबंधित डाटा को सुगम इलेक्ट्रॉनिक स्वरुप में एकीकृत किया जा सकेगा।
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर की अध्यक्षता वाली एक अंतर-विभागीय समिति आपराधिक न्याय प्रणाली से संबंधित विभिन्न संस्थानों के बीच सूचनाओं के सुगम आदान-प्रदान के लिए अपराध और गृह मंत्रालय के ‘क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम’ (सीसीटीएनएस) को ई-अदालतों और ई-कारावासों से जोड़ने की संभावना का भी अध्ययन कर रही है।
सीसीटीएनएस के तहत देश के सभी 14,000 पुलिस स्टेशनों को एक नेटवर्क से जोड़ने की योजना है। परियोजना पर नरेंद्र मोदी सरकार ने नये सिरे से ध्यान दिया है और केंद्रीय बजट में इसके लिए 250 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
राष्ट्रीय न्याय प्रदाय और विधिक सुधार मिशन की सलाहकार परिषद की हाल ही में हुई बैठक में सूचित किया गया कि कुछ क्षेत्रों में एकीकरण की प्रक्रिया शुरु हो गयी है। लेकिन सूत्रों के मुताबिक फरवरी में आयोजित एक बैठक में यह बात सामने आई कि कुछ विभाग या एजेंसियां एकीकरण के पक्ष में नहीं हैं और वे अपनी सूचना को साझा नहीं करना चाहते।