इस गांव के लोगों ने जिस तरीके से आग को फैलने से रोका, काश ऐसा हर गांव में होता

सामुदायिक रेडियो के माध्यम से आग लगने की खबर पूरे गांव में दी गई तो सभी गांव वालों ने समय पर घटनास्थल पर पहुंच आग लगने से रोक ली। गांव में तीसरी बार गेहूं की फसल के समय आग लगने से रोकी गई है।

Update: 2019-04-17 11:18 GMT

लखनऊ।

"हमारे गांव के हर दूसरे खंभे पर माइक लगा है। हमने इनसे तुरन्त गांव में सूचना दी, जिससे गांव के सभी लोग मौके पर पहुंच गए और समय रहते आग पर काबू पा लिया गया। ये पहली बार नहीं हुआ है, हमारे गांव में ये तीसरी मौका था जब गांव वालों ने मिलककर आग लगने से पहले ही बचाव कर लिया," -दिलीप त्रिपाठी।

हसुड़ी औसानपुर गांव के ग्राम प्रधान दिलीप त्रिपाठी बताते हैं कि, आज सुबह हसुड़ी औसानपुर की पश्चिमी सरहद पर आग लग गई थी, जो धीरे-धीरे गांव में फैल सकती थी। गांव में लगे सामुदायिक रेडियो के माध्यम से तुरन्त बताया गया कि गांव के इस इलाके में आग लगी है। गांव के सभी लोग तुरन्त मौके पर पहुंचे और समय रहते आग को फैलने से रोक लिया गया।

दिलीप कहते हैं, "गांव को सामुदायिक रेडियो होने की वजह से तीन बार गेहूं के सीज़न में आग लगने से बचा लिया गया है। ऐसी व्यवस्था हर गांव में होनी चाहिए ताकि तत्काल इस प्रकार की सूचना सभी गांव वालों तक पहुंचाई जा सके।"

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगभग 250 किलोमीटर दूर एक छोटे से गांव हसुड़ी औसानपुर के हर दूसरे पोल पर लाउडस्पीकर लगा है। यहां हर दूसरी गली में कूड़ादान है, सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। सिद्धार्थनगर जिले के इस गांव में हर वो सुविधा है जो किसी शहर या विकसित कस्बे में होती है।

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"रोज़ सुबह-शाम भजन, स्वच्छ भारत अभियान की सूचना और विज्ञापन, प्रधानमंत्री की मन की बात हो या किसी के घर बच्चा हुआ हो या किसी गाय ने बछिया जनी हो, हम सारी सूचनाएं सामुदायिक रेडियो के ही माध्यम से लोगों तक पहुंचाते हैं," - दिलीप ने गाँव कनेक्शन को फोन पर बताया।

कुछ दिन पहले 6 अप्रैल को मध्यप्रदेश राज्य के होशंगाबाद जिले में लगी आग के कारण पांच हज़ार एकड़ गेहूं की फसल जल गई थी। इस हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई थी। तीन दर्जन से भी ज़्यादा लोग इस हादसे में झुलसने के कारण घायल हो गए थे।

भोपाल सहित आसपास के इलाकों की 50 दमकल की गाड़ियां भी आग को नहीं बुझा पाई थीं। तेज आंधी के कारण ये आग होशंगाबाद, इटारसी और बाबई के खेतों में फैलती चली गई थी।

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फसलों में आग लगने की खबरें सामने आती रहती हैं। फसलों में आग लगने के दो प्रमुख कारण हैं - आंधी-तूफान आने से बिजली के खंभों में शॉट शर्किट होने के कारण आग लगती है। कई बार कटी पड़ी फसल के आस-पास ज्वलनशील पदार्थ फेंकने से भी आग लग जाती है।

फसलों में लगने वाली ये आग कई दफा बड़े हादसों का रूप ले लेती है। इनसे बचने के लिए हसुड़ी औसानपुर गांव की तरह अगर हर गांव में लाउडस्पीकर हों, कोई तरीका हो जिससे एक ही बार में पूरे गांव में सूचना दी जा सके तो कई हादसों को होने से पहले ही रोका जा सकता है।

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