संयुक्त राष्ट्र (भाषा)। संयुक्त राष्ट्र से भारत ने कहा है कि वह दिव्यांग लोगों को पहचान पत्र उपलब्ध कराने की योजना के कार्यान्वयन की प्रक्रिया में लगा है। इसका लक्ष्य एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाना है, जिससे सरकार को उनकी शिक्षा, आय और रोजगार की स्थिति के बारे में जानकारी मिल सकेगी।
विकलांगों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन में सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्रालय के सचिव विनोद अग्रवाल ने कल कहा, ‘‘एजेंडा 2030 के कार्यान्वयन में विकलांग लोग भी शामिल हों, इसके लिए उनसे जुड़े आंकड़े अहम हैं।'' उन्होंने कहा कि भारत सरकार विकलांग व्यक्तियों का राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार करने और उन्हें विशिष्ट पहचान पत्र उपलब्ध कराने के लक्ष्य के साथ विकलांगों के लिए विशिष्ट पहचान पत्र की योजना के कार्यान्वयन की दिशा में काम कर रही है।
अग्रवाल ने कहा, ‘‘इससे सरकार को विकलांग व्यक्तियों की शिक्षा, आय, रोजगार समेत विभिन्न पहलुओं से जुड़ी सही जानकारी समय पर मिल सकेगी।'' उन्होंने साथ ही कहा कि सरकार ने केरल में पहले केंद्रीय विकलांगता अध्ययन और अनुसंधान विश्वविद्यालय की स्थापना का निर्णय भी किया है।
अग्रवाल ने इस बात का जिक्र किया कि आकलन के मुताबिक विश्व की कुल आबादी में लगभग एक अरब लोग विकलांग हैं और उनमें से 80 फीसदी लोग विकासशील देशों में रहते हैं। भारत में करीब 2.7 करोड़ विकलांग लोग रहते हैं। यह आंकड़ा कुल आबादी का करीब दो फीसदी है।