दंगे की आग के बीच यहां तालीम की ठंड

Update: 2016-07-21 05:30 GMT
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लखनऊ। दंगों की आग में जल चुके मुजफ्फरनगर में पहली चिन्गारी गाँव कवाल से लगी थी। इसी गाँव से कुछ ही दूरी पर है, एक और गाँव सिखेड़ा। यहां के प्राथमिक स्कूल में पढ़ने वाले 90 फीसदी बच्चे मुस्लिम हैं। मगर इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए बस एक ही लक्ष्य तब भी पढ़ाई ही था। हालात तनावपूर्ण थे मगर स्कूल में दंगों के बाद कभी भी इसका असर नहीं दिखा।

अधिकांश हिंदू अध्यापकों ने स्कूल को बाखूबी संभाला। अब इस स्कूल में 475 बच्चे पढ़ते हैं और मजे की बात ये है कि सरकारी होने के बावजूद ये इंग्लिश मीडियम का दर्जा पा चुका है।

जिला मुख्यालय से करीब 15 किमी. दूर जानसठ ब्लॉक में गाँव सिखेड़ा में ये स्कूल है। सिखेड़ा से कवाल के बीच दंगों की आग भले शांत हो गई हो मगर यहां अभी उसकी गर्मी बनी हुई है। ऐसे में ये स्कूल एकता की मिसाल बना हुआ है। जहां अधिकांश बच्चे मुस्लिम और अध्यापक हिंदू हैं।

यहां एक बड़े इंग्लिश मीडियम स्कूल में मिलने वाली सुविधाएं उपलब्ध हैं। रोजाना होने वाली एक्टिविटी, समर कैंप, खेलकूद, स्कूल में लगाए गए वॉटर कूलर, साफ-सफाई बच्चों की यूनिफार्म और यहां तक कि स्कूल के बाहर नोटिस बोर्ड पर दर्ज अंग्रेजी के कोटेशन कहीं से ये बयां नहीं करते कि ये स्कूल एक सामान्य सरकारी बेसिक स्कूल है।

जिले में समर कैंप लगाने वाला अकेला स्कूल

पूरे जिले के सैकड़ों बेसिक स्कूलों में समर कैंप लगाने वाला ये अकेला स्कूल है। जहां अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों की तरह समर कैंप लगता है। जिसमें बास्केटबॉल, वालीबॉल जैसे खेलों का प्रशिक्षण बच्चों को दिया गया। इसके साथ ही उनको चित्रकला, क्ले आर्ट, जिग्सा पजल्स जैसे खेलों और एक्टिविटी से भी जोड़ा गया।

प्रवेश के लिए यहां मारामारी

आमतौर से सरकारी बेसिक स्कूलों में कागजों पर ही प्रवेश होते हैं। सालभर बच्चे नाममात्र को स्कूल आते हैं। मगर इस स्कूल की कहानी इतर है। यहां कुल नामांकन 475 बच्चों का है, जिसमें पढ़ाई के सभी दिनों में 90 फीसदी तक हाजिरी जरूर होती है।

प्रिंसिपल रश्मि मिश्रा बताती हैं हम इन बच्चों को ऐसी शिक्षा देने का लक्ष्य लेकर चले रहे हैं, जिससे इनको आने वाले समय में प्रतिस्पर्धाओं का सामना करने में कठिनाई न हो। न केवल अंग्रेजी की पढ़ाई बल्कि ओवरऑल पर्सनालिटी डेवलपमेंट के लिए भी हम पूरी कोशिश कर रहे हैं। हमारे इस स्कूल को रोटरी मिड टाउन और प्रयास संस्था की ओर से समय-समय पर मदद की जाती रही है इसलिए हम स्कूल को और बेहतर कर सके।

रिपोर्टर - ऋषि मिश्रा

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

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