दो बेटियां हैं, तो नहीं पैदा कर सकते तीसरी औलाद

Update: 2016-01-07 05:30 GMT
गाँव कनेक्शन

लखनऊ। अभी तक जिन खाप पंचायतों को अपने कठोर फरमानों के लिए जाना जाता था, उसी पंचायत ने हाल ही में कुछ ऐसे फैसले लिए हैं, जो कि समाज के लिए एक आदर्श साबित हो सकते हैं। 

हरियाणा राज्य में मुख्य रूप से होने वाली खाप पंचायत ने नया फरमान जारी किया है कि अगर किसी भी परिवार में दो लड़कियां हैं, तो वह परिवार अपनी तीसरी संतान नहीं पैदा कर सकता है। खाप पंचायत का यह फैसला समाज में रह रहीं महिलाओं के प्रति एक सार्थक कदम है वहीं यह फैसला हरियाणा में बढ़ रही महिला भ्रूण हत्या को कम करने में सार्थक भी साबित हो सकता है।

भारतीय जनगणना 2012 के अनुसार हरियाणा राज्य में लिंगानुपात कम रहा, जिसमें 1000 पुरुषों पर सिर्फ 883 महिलाएं ही थीं। 

ये वहीं खाप पंचायतें हैं, जिन्होंने अभी कुछ दिनों पहले यह फरमान जारी किया था कि अगर उनके समुदायों में कोई भी महिला या लड़की जींस पहनती है या मोबाइल रखती है, तो उसे चिरित्रहीन बोला जाएगा।

दो बच्चियों के बाद कोई भी तीसरी औलाद ना पैदा किए जाने के अलावा खाप पंचायत ने दूसरा फरमान जारी किया है कि अगर कोई भी व्यक्ति अपने लड़के की बारात ले जा रहा है तो वह बरात में 10 से कम सदस्यों को ही शामिल कर सकता है। इससे लड़की के परिवार को कम खर्च उठाना पड़ेगा। इसके आलावा खाप पंचायत ने बेटियों के परिवार को तवज्जो देते हुए यह फरमान भी जारी किया की अब लड़की पक्ष को दहेज के रूप में सिर्फ एक रूपया देना होगा।

खाप पंचायतों के इन फैसलों के अलावा तीसरा गंभीर फैसला लिया गया है, जिसमें अगर किसी भी परिवार के बड़े मुखिया कि मृत्यु हो जाती है, तो वह शोक ग्रस्त परिवार 7 दिन से अधिक शोक सभा नहीं कर सकता। यानी कि परिवार अपने मुखिया के मरणोंपरांत सिर्फ सात दिन तक ही दुखी रह सकता है। अभी तक यह अवधी 13 दिन की थी।

इस फैसले पर खाप पंचायत के अध्यक्ष राजबीर बूरा का कहना है, ''शोक सिर्फ सात दिन तक ही मनाया जाएगा। इसके अलावा अभी तक मानी जा रही परंपरा (शोक अवधी में तेल, घी या आटा खाना होगा) को भी तोड़ा जाएगा।’’ 

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