वाटरमैन सिमोन उराँव: "विकास नहीं, विनाश हो रहा है"

Update: 2019-04-20 13:49 GMT

बेड़ो ब्लॉक, रांची (झारखंड)। लोकसभा चुनाव शुरू हो चुके हैं। नई सरकार बनने से पहले झारखंड में रहने वाले आदिवासियों के जीवन पर विकास का क्या प्रभाव पड़ रहा है और जंगल उनके लिए क्या मायने रखते हैं जैसे विषयों पर गाँव कनेक्शन ने बात की वॉटरमैन सिमोन उराँव से। सिमोन ने प्रकृति को बचाने के लिए कई कार्य किए हैं। रांची के पास बेड़ो ब्लॉक के करीब 50 गांवों में पेड़ लगाने से लेकर कुंआ खुदवाने तक, सिमोन ने प्रकृति के लिए योगादान दिया है। उनके प्रयासों के लिए भारत सरकार ने साल 2016 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से नवाज़ा था।

बिहार से अलग हो कर नया प्रदेश बनने से आदिवासियों का फायदा हुआ है सवाल के जवाब में सिमोन कहते हैं, "आदिवासियों को तो घाटा ही हुआ है। पुराने लोगों ने जंगल झाड़ बना रखा था। बाग-बगीचा रखा था। अन्न, पानी और ज़मीन का कोई कारखाना तो नहीं है पूरी दुनिया में; न ही कोई सरकार बना सकती है, बना सकते हैं तो केवल भगवान बना सकता है। कोयला खदानों ने जंगल को खत्म कर दिया। किसान के लिए तो घाटा ही है।"

ये भी पढ़ें- 
इनके पास हैं हजारों खबरें जो कभी मीडिया तक नहीं पहुंच पाईं

सरकार का कहना है कि देश के विकास के लिए खनन ज़रूरी है लेकिन सिमोन मानते हैं कि ये विकास नहीं, विनाश हो रहा है। वो कहते हैं, "बड़े-बड़े पूंजीपतियों का विकास हो रहा है, गरीब का कोई विकास नहीं है। जंगल, झाड़ नहीं है, पानी नहीं है। पृथ्वी में 40 फीट तक पानी नहीं है अभी।"

"हमने पहले ही कहा कि चपाकल (हैंड पम्प) और बोरिंग को बन्द करिए। गांव में कुंआ खुदवाइए लेकिन हर जगह चपाकल लगे हैं, बोरिंग है। कुंआ रहेगा तो बारिश के पानी को भी जमा करेगा। चपाकल और बोरिंग तो ज़मीन का पानी ही सोख रहे हैं," - वो आगे बताते हैं।

सिमोन कहते हैं, "सूखे का खेती पर बहुत असर होता है। किसान के लिए जगह-जगह पानी की खदान बनना चाहिए। हमारे लिए सुविधा ही कहां है, बीज ही सौ-सवा सौ रुपए का मिलता है।"

ये भी पढ़ें- ग्राउंड रिपोर्ट: सुप्रीम कोर्ट की नरमी के बाद भी आदिवासियों में क्यों है रोष?

योजनाओं से कितना फायदा हुआ पूछने पर वो बताते हैं कि, "पैसे से कुछ नहीं होगा सबसे पहले तो पानी का जुगाड़ करने की ज़रूरत है। ज़मीन सही होगी तो खेती भी बढ़िया होगी।"

सिमोन कहते हैं, "सारी जनता को मिलकर एक साथ काम करना चाहिए। जंगल सब खत्म हो रहे हैं, जंगल के लोगों को ही मिल कर काम करना होगा।"

"गांव के अधिकार होने चाहिए लोगों को। पुराने लोगों ने प्रकृति को बचाकर रखा था लेकिन सरकार नहीं बचा पा रही है। जल, जंगल, ज़मीन पर किसान का अधिकार होना चाहिए। सरकार इसका ध्यान नहीं रख पाती। दिन में लाइट नहीं होती, रात में होती है तो तब तो खेती नहीं कर सकते न। सरकार तो किसान से भी गरीब है। किसान को साल भर में एक बार पैसा मिलता है, उन्हें हर महीने मिलता है तब भी कम पड़ता है। जल, जंगल, ज़मीन सब खत्म कर दिया तब भी पेट नहीं भरा उनका," - सिमोन आगे कहते हैं।   

ये भी पढ़ें- चुनाव की ये रिपोर्टिंग थोड़ी अलग है, जब गांव की एक युवती बनी रिपोर्टर

Similar News