एमडीएम: निवाले की राह से हटा रुपयों का रोड़ा

Update: 2016-01-24 05:30 GMT
गाँव कनेक्शन, मिड डे मील, नितिन भार्गव

मैनपुरी। जिले में मध्यान्ह भोजन योजना की राह में अब कनवर्जन कास्ट का रोड़ा नहीं अटकेगा। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने गजट में संशोधन कर एमडीएम के लिए नई व्यवस्था कर दी है। नई व्यवस्था में विद्यालय विकास के नाम पर किसी भी मद में उपलब्ध धनराशि को मिड-डे मील में खर्च किया जा सकता है। 

परिषदीय स्कूलों के बच्चों को दोपहर का भोजन देने की व्यवस्था है। इसके लिए बाकायदा मैन्यू भी निर्धारित है। लेकिन समय पर कनवर्जन कास्ट न मिलने की वजह से विद्यालयों में एमडीएम की व्यवस्था लडखड़ाती रहती है। जिले में भी कई बार कनवर्जन कास्ट न मिलने से स्कूलों में भोजन की व्यवस्था नहीं हो सकी थी। शिक्षक संगठनों ने भी इसका सड़कों पर उतरकर विरोध किया था। 

इस नई व्यवस्था के बारे में जिला एमडीएम समन्वयक नितिन भार्गव बताते हैं,''हमें अभी लिखित में कोई पत्र नहीं मिला है,लेकिन इंटरनेट पर पढ़ा जरूर है। यह व्यवस्था जहां तक अच्छी है, उतनी ही परेशानी भी पैदा करेगी।" 

''परिषदीय स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों को ड्रेस, पुस्तकें, बैठक व्यवस्था के लिए भी सामग्री उपलब्ध कराई जाती है। इसके लिए बाकायदा मद में धनराशि भी उपलब्ध रहती है।" नितिन भार्गव आगे बताते हैं। संशोधित गजट में विद्यालय के प्रधानाध्यापक और प्रधानाध्यापिका को यह अधिकार दिया गया है कि वे स्कूल में अगर खाद्यान्न और पकाने की सामग्री उपलब्ध नहीं है और उसकी खरीददारी के लिए कनवर्जन कास्ट आड़े आ रही है,तो विद्यालय विकास निधि में उपलब्ध किसी भी अन्य मद की धनराशि का उपयोग एमडीएम के लिए कर सकते हैं। 

नितिन भार्गव बताते हैं,''अगर, इस मद की धनराशि का उपयोग एमडीएम के लिए कर लिया गया और बाद में एमडीएम की कनवर्जन कॉस्ट देर से आई तो फि र दूसरे मद की धनराशि खाली होने के कारण अन्य व्यवस्थाएं ठप पड़ सकती हैं।"

यह है शर्त

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने भले ही एमडीएम की राह आसान कर दी हो, लेकिन कुछ शर्तें भी शामिल की हैं। संशोधित गजट में बाकायदा निर्देश दिए गए हैं कि मिड-डे मील पकाने के लिए भले ही किसी भी मद की धनराशि का प्रयोग करें। लेकिन, जब एमडीएम की कनवर्जन कास्ट प्राप्त हो जाए, तो दूसरे मद की खर्च की जा चुकी धनराशि को संबंधित मद के खाते में वापस लौटाना होगा। इसकी जवाबदेही भी पूरी तरह से प्रधानाध्यापकों की होगी। 

रिपोर्टर- रतन सिंह 

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