दरख्शां कदीर सिद्दीकी
रायबरेली। लड़की जैसे जैसे बड़ी होती है, उसकी सुरक्षा की चिन्ता अभिभावकों को सताने लगती है। स्कूल से निकलकर कालेज और कालेज से यूनिर्वसिटी कई बार पढ़ाई के चक्कर में लड़कियों को बाहर भी भेजना पड़ता है। एक दो बार तो भाई या पिता उसको छोड़ आते है। लेकिन यह चीज हर बार तो दोहरायी नही जा सकती। ऐसे में कई बार मां बाप लड़कियो को अकेला बाहर भेज तो देते है लेकिन जब लड़की का फोन नही आ जाता है कि वह सही सलामत पहुच गयी या नही तब तक नींद नही आती।