विशुनपुर (बाराबंकी)। अब ग्रामीणों को गेहूं लेकर गाँव से दूर पिसवाने जाने की जरूरत नहीं होगी। बदलते दौर में अब आटा पीसने की मशीन घर-घर पहुंच रही है जिसके चलते जहां लोगों को काफी सुविधा हुई, वहीं समय की भी बचत हो रही है।
यह मशीन बिहारनगर के अर्जुन ने बनाई है। अर्जुन (28 वर्ष) बताते हैं, ‘आटा पीसने की मशीन ट्रैक्टर से चलती है। यह मशीन लगभग 75 हजार की आती है। ट्रैक्टर मिलाकर इस कार्य को करने के लिए पांच से छह लाख रुपए का खर्च आ जाता है। हम सुबह ट्रैक्टर और मशीन लेकर गाँव-गाँव निकल जाते हैं। गाँव में जो गेहूं पिसवाने के लिए बुलाता है उसके दरवाजे पर जाकर गेहूं की पिसाई करते हैं।’ अर्जुन आगे बताते हैं, ‘मशीन की मदद से एक घण्टे में लगभग ढाई कुंतल गेहूं की पिसाई हो जाती है। इसके लिए हम एक रुपए प्रति किलो की दर से मूल्य लेते हैं व 20 किलो पर एक किलो आटे के रूप में जलन (एक किलो आटा रख लिया जाता है) ली जाती है। सहालक के समय अच्छा काम निकलता है।’
जिला मुख्यालय से लगभग 22 किमी दूर सालेहनगर के ग्रामीण प्रदीप पाल (31 वर्ष) बताते हैं, ‘घर-घर आटा पीसने वाली मशीन आने से हमें बहुत फायदा हुआ, क्योंकि पहले घर में आटा खत्म होने से काफी पहले ही हमें आटा पिसवाने के लिए समय निकालना पड़ता था। अब घर की महिलाएं ही यह काम निपटा लेती हैं।’