गाँव की महिलाओं का बढ़ रहा है ब्यूटी पार्लर की तरफ रुझान 

Update: 2017-08-20 18:24 GMT
गाँव का ब्यूटी पार्लर। तस्वीर क्रेडिट - Burn Pixels Photography 

आरती उस दोपहर खेत से जल्दी लौट आई थी। साइकल घर के दरवाज़े पर टिकाते हुए जल्दी से अंदर आई और आंगन वाली दीवार पर लगे छोटे से आईने में एक नज़र अपना चेहरा देखा और आवाज़ लगाई – “अम्मा, हम जा रहे हैं आते हैं, आते हैं अभी” रसोई से अम्मा ने पूछा “कहां जा रही है” तो आंगन में आरती का जवाब गूंजा, “ब्यूटी पार्लर…”

गाँव कनेक्शन सर्वे 

ग्रामीण महिला का ज़िक्र आते ही ज़हन में जो पहली तस्वीर आती है वो घाघरा चुनरी में, सर पर पानी का बर्तन लिए, नज़रें झुकाए किसी पगडंडी पर चलती हुई एक महिला की होती है। तकरीबन साढ़े चालीस करोड़ ग्रामीण महिलाओं वाले भारत में ग्रामीण महिला की यही छवि आमतौर पर बनाई जाती है, लेकिन गाँव कनेक्शन के हालिया सर्वे में इस छवि के टूटने की आहट साफ सुनाई दे रही है। गाँव की महिलाएं भी अपनी सुंदरता के लिए जागरुक हो रही हैं।

25 ज़िलों के 350 ब्लॉक में किए गए इस के सर्वे में पता चला है कि तकरीबन 47 फीसदी ग्रामीण महिलाएं कम से कम एक बार ब्यूटी पार्लर गई हैं और 5 फासदी नियमित तौर पर ब्यूटी पार्लर जाती हैं। श्रीवस्ती की रहने वाली 40 साल की इंदू गौतम कहती हैं,

घर में इतना काम होता है कि नियमित पार्लर जाने का समय ही नहीं होता, हां जब कभी-कबार घर में कोई आयोजन वगैरह होता है तो ब्यूटी पार्लर चले जाते हैं
इंदू गौतम, श्रीवस्ती

तस्वीर : इंटरनेट

सुदंरता को लेकर ग्रामीण इलाकों में महिलाओं का रुझान हालिया वक्त में बदला है। इसकी एक वजह गाँवों में केबिल टीवी का पहुंचना हो सकता है। एक दौर था जब ग्रामीण इलाकों में महिलाओं के लिए साज-सज्जा का मतलब सिर्फ बिंदी, काजल और चूड़ियां होती थी लेकिन अब इसमें ‘थ्रेडिंग’ (धागे से भवों के अनचाहे बालों को हटाना), स्क्रबिंग और फेस मसाज भी शामिल हो गया है। बलिया की रहने वाली 29 साल की गायत्री देवी ने बताया

दो या तीन महीने में थ्रेडिंग करवा लेते हैं, गाँव के ब्यूटी पार्लर भी मंहगे हो गए हैं इसलिए पड़ोस की एक लड़की को घर बुलाकर, घर पर ही ‘थ्रेडिंग’ करवा लेते हैं
गायत्री देवी, बलिया

सिर्फ थ्रेडिंग ही नहीं, बल्कि गाँवों के ब्यूटी पार्लर में फेसमसाज, क्लीनिंग और स्क्राबिंग भी काफी हो रही है। अपने चेहरे को लेकर ग्रामीण औरतों में जागरुकता आई है। वो ‘गांव वाली औरत’ कि उस छवि को तोड़ रही हैं जो जिसे हिंदी सिनेमा ने दशकों तक बनाए रखा। कानपुर देहात के मैथा ब्लाक की रहने वाली 31 साल की रामलली कहती हैं,

चेहरे की सफाई के लिए ब्यूटी पार्लर जाना ठीक रहता है, घर में या किसी रिश्तेदार के यहां कोई आयोजन हो तो एक बार ब्यूटी पार्लर हो आते हैं 
रामलली, कानपुर देहात

भारत के सबसे बड़े ग्रामीण मीडिया प्लैटफार्म गांव कनेक्शन के हालिया सर्वे के आंकड़ों में ये बात साफ पता चली है कि न सिर्फ ग्रामीण भारत में खूबसूरती को लेकर जागरुकता बढ़ी है बल्कि ब्यूटी पार्लर एक बेहतर कारोबार के तौर पर भी उभरा है।

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