एलपीजी कनेक्शन और ब्यूटी पार्लर ने बदली जिंदगी

Update: 2017-08-23 19:31 GMT
तस्वीर : इंटरनेट

गाँव कनेक्शन नेटवर्क

लखनऊ। गाँवों में एलपीजी कनेक्शन बढ़ने से महिलाओं की ज़िंदगी बदल रही है। महिलाएं अपने घर में सबसे पहले गैस कनेक्शन लाने की ख्वाहिश रखती हैं। इससे उन्हें खाना बनाने में आसानी के साथ ही कई बीमारियों से बची भी रहती हैं।

गाँव कनेक्शन के द्वारा यूपी के 25 जिलों के 350 ब्लॉक की पांच हजार महिलाओं के बीच सर्वे से पता चला कि 24 प्रतिशत ग्रामीण महिलाएं सबसे पहले अपने घर में एलपीजी कनेक्शन लाना चाहती हैं। 23 प्रतिशत ने घर में सबसे जरूरी चीज फोन और 26 प्रतिशत ने फ्रिज को बताया।

मेरठ जिले के बेहटा गाँव निवासी हरवती (45 वर्ष) बताती हैं, “एलपीजी गैस कनेक्शन न होने से पहले घर पर कोई मेहमान आता था, खासकर गर्मी के मौसम में वह दुश्मन लगता था, लेकिन जब से सिलेंडर लगा है, अब किसी भी समय कोई आए तो चाय या खाना बनाने में कोई दिक्कत नहीं होती।”

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केन्द्र की उज्जवला योजना के तहत वर्ष 2019 तक 5 करोड़ बीपीएल परिवारों को एलपीजी गैस कनेक्शन देना है। इसके लिए सरकार ने 8000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। पहले साल में सरकार ने देशभर में इस योजना के तहत 2.2 करोड़ बीपीएल परिवारों को एलपीजी कनेक्शन दिए गए, जो लक्ष्य से 1.5 करोड़ अधिक थे। उज्जवला योजना में सबसे अधिक 58 लाख गैस कनेक्शन उत्तर प्रदेश में दिए गए।

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उत्तर प्रदेश की ग्रामीण महिलाओं-और लड़कियों पर किए गए सबसे बड़े सर्वे में 15 से 45 वर्ष के लोगों से ही बात की गई। गोरखपुर के पिपराइच ब्लॉक की रहने वाली गीता देवी (30 वर्ष) कहती हैं, “घर में फ्रिज होना बहुत जरूरी है, क्योंकि आजकल सब्जियां बहुत महंगी है।”

आगे कहती हैं, “फ्रिज होने से सब्जियां और बचा खाना खराब होने का डर नहीं होता।”

सर्वे के दौरान पता चला कि 47 प्रतिशत महिलाएं ब्यूटी पार्लर कम से कम एक बार जरूर गईं। इनमे से 17 प्रतिशत जब घर में कोई अयोजन होता है तब जाती हैं, 5 प्रतिशत नियमित रूप से ब्यूटी पार्लर जाती हैं। 25 प्रतिशत सिर्फ एक या दो बार ही गईं। उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले में रहने वाली इंदू गौतम (40 वर्ष) कहती हैं, “घर के काम से ब्यूटी पार्लर जाने का समय ही नहीं मिल पाता। जब कहीं कोई आयोजन होता है तभी पार्लर जाना होता है।” उत्तर प्रदेश के मेरठ मे रहकर लोगों को जागरुक करने और समाज सेवी डॉ. कुलदीप व्यास इस बारे में कहते हैँ, “आधुनिकीकरण के कारण ही यह बदलाव देखने को मिल रहा है। सूचना क्रांति का भी असर है। इसके साथ ही टीवी और समाचार संसाधनों ने महिलाओं को और जागरूक किया है।”

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गाँव-गाँव टीवी पहुंचने से महिलाओं और लड़कियों में पहनावे को लेकर काफी जागरुकता भी देखने को मिली। अगर महिलाओं को बंदिशें न हों तो वह साड़ी की अपेक्षा सलवार-सूट ज्यादा आरामदायक मानते हुए तवज्जो देती हैं। सर्वे के दौरान 46 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि उन्हें सूट पहनना ज्यादा पसंद है, 42 प्रतिशत ने बताया साड़ी ही पनती हैं। एक जो बड़ा बदलाव दिखा कि 12 प्रतिशत लड़कियों ने कहा कि उन्हें जींस-टॉप या स्कर्ट पहनना पसंद है। इलाहाबाद के नैनी चांडी निवासी प्रेमलता यादव (38 वर्ष) ने बताया, “जिस कपड़े में आराम मिले वही पसन्द बन जाता है। वैसे सूट पहनना मुझे काफी अच्छा लगता है।”

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