द नीलेश मिसरा शो: आखिर क्यों मुसलमानों को आगे आने में रूकावट बन रहे हैं उन्हीं के लीडर
वो कौम जिसकी हदीसों में फरमाया गया है कि "इल्म हासिल करने के लिए अगर चीन भी जाना पड़े तो जाओ। वो कौम इल्म के मामले में सबसे पीछे है। मुस्लिम समाज की ये हालत कैसे हुई? किसने की? क्या सिर्फ सरकारों ने? या मुसलमानों के अपने रहनुमा, अपने लीडर्स भी इसके लिए जिम्मेदार थे? द नीलेश मिसरा शो का ये एपिसोड इसी पर आधारित है... ये पार्ट2
दि नीलेश मिसरा में.. कम्यूनिटी रिपोर्ट- पार्ट- 2
मीडिया का भी कमाल देखिए जब बात चल रही होती है लीगल राइट्स की वहां पर होना चाहिए वाइस चांसलर को, लॉ एक्सपर्ट को। उस जगह पर वो शाही इमाम को बिठाकर रखते है। शायद वो खुद भी नहीं चाहते कि मुस्लिम लीडरशिप या कोई और लीडर शिप उभर कर आगे आए।
मोहम्मद आसिफ
हमारी कौम की जो लीडरशिप है उसके पास विजन का बहुत बड़ी कमी है। आप अंदाजा करिए कि हमारे जो कौम के रहबर हैं ये वो लोग हैं जिन्होंने बिजली का विरोध किया था। आप ही अंदाजा लगा सकते है इसके क्या माइने हैं और इनके अंदर विजन की किस कदर कमी है। दूसरी बात ये कि ये वो लोग हैं जिन्होंने अंग्रेजी सीखने पर सरसैय्यद अहमद के खिलाफ 600 से ज्यादा फतवे लाए थे। सऊदी अरब तक गए और वहां से लाए आप सोचें उस दौर में जब हवाई जहाज मुमकिन नहीं था ये महीनों की मुसाफिरत करके गए और वहां से जाकर के फतवे ले करके आए।
शीबा असलम जैदी, प्रोफेसर जेएनयू
मेरा नाम है नीलेश मिसरा और मैं चल पड़ा हूँ एक सफर पर, कुछ सवाल लेकर कुछ जवाबों की तलाश में। मैं जानना चाहता हूं कि आखिर क्या वजह है कि मुसलमानों के रहबर ही उनकी तरक्की में क्यों रूकावट बन रहे हैं वो क्यों नहीं चाहते कि औरों की तरह उनकी कौम भी तरक्की करे।