बांस भी बन सकता है कमाई का जरिया, बिहार की इस महिला से सीखिए

Update: 2019-03-28 11:47 GMT

समस्तीपुर (बिहार)। शादी करके जब किरन अपने ससुराल आयीं तो घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने पर बांस से सामान बनाना शुरू किया। आज न केवल खुद का घर चला रहीं हैं बल्कि दूसरी महिलाओं को भी काम सिखा रहीं हैं।

बिहार के समस्तीपुर जिले की रहने वाली कुमारी किरन की पहचान बांस की कारीगरी से होती है, पूरे जिले में वो अपने बांस के काम से जानी जाती हैं। कुमारी किरन बताती हैं, "बहुत दिनों से यही काम कर रहीं हूं, मैंने अपने पिता जी से ये काम सीखा है। मेरे पिता जी इसके मशहूर कारीगर थे, बचपन से ही उनका हाथ बंटाती आ रहीं हूं, इसी तरह से हमने ये काम सीखा था।


ससुराल में काम की शुरूआत के बारे में वो कहती हैं, "मैं जब मायके में थी तो ये काम करती थी, जब हमारी शादी हुई, हमारा मायका वैशाली में था, हमारी शादी में समस्तीपुर में हो गई। जब बहु बनकर आयी तो कुछ दिनों तक ये काम छोड़ दिया, लेकिन फिर बाद में देखा की आर्थिक स्थिति कमजोर होती रही, तो हमने अपने पहले पति को सिखाया। हमने बोला उनको न उनकी नौकरी लगी और ही मेरी मैंने इंटर तक पढ़ाई की है, लेकिन कहीं पर नौकरी नहीं लगी। तो हमने सोचा कि इसी को क्यों न रोजगार में लाया जाए।"

आज कुमारी किरन के पति, सास और देवरानियां भी उनका हाथ बंटाती हैं। यही नहीं सारी डिजाइन वो खुद से बनाती हैं। ये लोग दिल्ली, पटना जैसे बड़े शहरों में भी प्रदर्शनी लगा चुके हैं।

किरन के पति हेमंत कुमार कहते हैं, "अभी हम डाइनिंग टेबल, टी स्टॉल, टाईटेनिक जहाज, गुलदस्ता, कश्मीरी नाव, पेन स्टैंड ये सब आइटम हम बनाते हैं। घर सजाने के लिए दीवार फ्लावर, जैसी चीजे बनाते हैं।"


एक महीने में अपने हुनर से हर महीने 25 से 50 हजार खर्च करके एक लाख से डेढ़ लाख कमा लेती हैं।

अपने काम शुरू करने के बारे में वो बताती हैं, "जब हम बनाए, तो वो लोग देखे तो बहुत खुश हुए हमारी बहुत तारीफ किए कि ये बहुत अच्छा आइटम है। बहुत अच्छा काम कर रही हो और अगल-बगल की जो आस-पड़ोस की जो महिलाएं हैं वो सब भी सीखी हैं हम से दो-चार महिलाओं को भी सिखाएं हैं।"

दूर-दूर से आते हैं खरीददार

अब अगल-बगल के गाँव ही नहीं दूसरे जिलों से भी लोग यहां सामान खरीदने आते हैं। "जो गाँव में लोग जानते हैं कि हम ऐसा कर रहे हैं तो किसी को गिफ्ट देना हो तो आते हैं हमारे घर पर आर्डर करते हैं हम देते हैं, "कुमारी किरन ने आगे बताया। 

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