जो लोग हीन भावना से देखा करते थे वही अब सम्मान देते हैं

Update: 2019-12-11 09:50 GMT

ललितपुर(उत्तर प्रदेश)। "पहले हम जैसे दिव्यांगों को कम महत्व मिलता था, लोग हीन भावना से देखते थे कि विकलांग हैं, लेकिन व्हीलचेयर क्रिकेट, वाॅलीबॉल जैसे खेलों से उन लोगों की सोच बदल रही है, अब वो उस दृष्टि से नहीं देखते जिस दृष्टि से देखा करते थे, अब वो लोग हर प्रकार से मदद करने को तैयार रहते हैं, "उत्तर प्रदेश व्हीलचेयर क्रिकेट, वालीबॉल के कप्तान ब्रजमोहन तिवारी बताते हैं।

ललितपुर जिले के मडावरा तहसील के बमराना गाँव के दिव्यांग ब्रजमोहन तिवारी का बचपन से ही खेलने का शौक था, लेकिन उन्हें प्लेटफार्म नहीं मिला। आज वो सरकारी अध्यापक हैं, लेकिन उनके मन मैं एक बात सताती थी कि लोग दिव्यांगों को हीन भावना से देखते हैं। वो सम्मान उन्हें कैसे मिले, खेल मैं रूचि होने के साथ उनके एक मित्र ने वालीबॉल के बारे में बताया। वो पहली बार दिल्ली खेलने गए।


दिव्यांगों के खेल में काफी सम्भावनाओं की बात करते हुऐ ब्रजमोहन तिवारी बताते हैं, "यह सोचकर दिव्यांग साथियों को इकट्ठा कर टीम बनाई हर संडे समय निकालकर दिव्यांगों के साथ प्रिक्टिस करते हैं, लगातार अभ्यास से दिव्यांग टीम काफी मजबूत है। टीम पांच बार नेशनल लेवल तक व्हीलचेयर क्रिकेट भी नेशनल लेवल तक खेला। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पंजाब, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ सहित नेपाल तक खेल आये हैं।"

राजकुमार पाली तहसील के डुगरिया गाँव के रहने वाले हैं। दिव्यांग राजकुमार को लोग हीन भावना से देखते थे। साथ ले जाने में हिचकिचाते थे गाँव छोड़कर शहर में आये राजकुमार बताते हैं, "दिव्यांगों के संपर्क में आये उनके साथ खेलना शुरू किया। मैच के दौरान ऐसे दिव्यांग मिले जो मुझसे बुरी स्थिति में होने के बाद वो अच्छा ख़ेलते हैं उनको देखकर हौसला आया कि उनसे तो हम सही हैं। वो चल भी नहीं पाते हैं उन्हें सहारे की जरूरत है, वो अच्छे से खेल सकते तो हम क्यों नहीं? मनोबल बढ़ा और आज हम क्रिकेट खेलने लगे। जो लोग हीन भावना से देखते थे वहीं सम्मान करने लगे।"


"साल 2015 में शुरूवाती नींव रखी थी, पहली बार व्हीलचेयर वालीबॉल टीम को दिल्ली गई थी, वापस लौटने पर विकलांग खिलाड़ियों के हौसले और आत्मविश्वास बढ़ा कि हम भी कुछ करके दिखाएंगे, "इन लोगों की मेहनत और लगन देखकर अन्य विकलांग साथियों का खेल की ओर रूझान बढ़ने की बात अनंत तिवारी टीम मैनेजर व्हीलचेयर क्रिकेट टीम ललितपुर ने बताया।

शुरूआत में यह देखने में और सोचने में काफ़ी कठिन लगता था कि दिव्यांग लोग खेल कैसे खेलेंगे, लेकिन उनकी लगातार मेहनत ने ये नामुमकिन काम मुमकिन कर दिखाया। जो लोग सामान्य तौर पर ठीक होते हैं उनसे अच्छा प्रदर्शन व्हीलचेयर पर बैठकर विकलांगों ने किया। व्हीलचेयर किक्रेट खेलने के करीब 15 दिव्यांग खेलने में परिपक्व हुए।

अनंत तिवारी बताते हैं, "जैसे लोगों की मानसिकता रहती हैं कि ये दिव्यांग कुछ नहीं कर पाएंगे। इन दिव्यांगों ने खेल के माध्यम से लोगों की सोच को बदला है। आत्मविश्वास भी जागा हैं इनके ख़ेल को देखते हुऐ कई दिव्यांग प्रभावित हुए। उन लोगों ने अपनी दिनचर्या बदलते हुए खेल में समय देने लगे। वो पहले की आपेक्षा कुछ अधिक बेहतर कर रहे हैं।"


इन तीन-चार सालों के दरम्यान ललितपुर के दिव्यांगों की महनत देखकर प्रदेश के करीब 40 जनपदों के दिव्यांगों के हौसले बढ़े और क्रिकेट टीम के गठन की बात करते हुए अनंत तिवारी बताते हैं, "वो लोग खेलते हैं स्टेट सहित नेशनल लेबिल की चैम्पियन शिप में प्रतिभाग कर चुके हैं, ये लोग हैदराबाद, चैन्नई, महाराष्ट्र, चण्डीगढ़, मेरठ, नोएडा जैसी काफी इन लोगों ने खेला है। ललितपुर के कुछ खिलाड़ी प्रदेश की टीम में चयनित हुए हैं।"

व्हीलचेयर क्रिकेट एसोसिएशन उत्तर-प्रदेश के कोच रत्नेश दीक्षित कहते हैं, "इन दिव्यांगों को यह महसूस नहीं होने देना हैं वो कमजोर हैं। वो बहुत अच्छा क्रिकेट और बास्केट बॉल खेलते हैं जैसे मोहाली में पिछली बार नेशनल चैम्पियन हुई थी, छठवीं चैम्पियनशिप भी जीत कर आए। दिव्यांगों में बहुत प्रतिभाएं छिपी हैं, इन लोगों के प्रति हम तत्पर प्रयास करते रहते हैं, जिससे प्रतिभाओं को उचित मंच मिले वो आगे बढ़े अपने शहर, प्रदेश व देश का नाम रोशन करें। " 

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