इन गाँवों तक नहीं पहुंच पाती सरकारी योजनाएं

Update: 2019-04-17 13:25 GMT

कांकेर (छत्तीसगढ़)। इन्हें न फसल बीमा योजना के बारे में पता है न ही दूसरी योजनाओं के बारे में, इन्हें बस इतना पता है कि उनके बैंक खाते से पैसे कट जाते हैं, लेकिन क्यों कटते हैं ये नहीं पता।

कांकेर जिला मुख्यालय से लगभग 20 किमी. दूर पलेवा ग्राम पंचायत डिजिटल ग्राम पंचायत हो गया है। लेकिन यहां पर ग्रामीणों को फसल बीमा क्या होता है तक नहीं पता है।

किसान धरमू राम जुर्री से जब गाँव कनेक्शन संवाददाता ने फसल बीमा योजना के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया, "हमको नहीं पता, क्या और कैसे होता है ये बीमा। जब धान बेचते हैं तो उसका पैसा बैंक खाते में आ जाता है।"आगे ग्रामीणों से बातचीत में सामने आया कि केंद्र की स्वास्थ्य बीमा योजना को लेकर ग्रामीण जरूर जानते है लेकिन जब स्मार्ट कार्ड से ग्रामीण इलाज कराने अस्पताल जाते हैं, तो उनके स्मार्टकार्ड से कितना पैसा कट रहा या कितना पैसा का सुविधा मिलना है यह तक ग्रामीणों को नही पता।

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इसे बारे में सेना से रिटायर घनश्याम जुर्री कहते हैं, "यहां बहुत खराब स्थिति है, चाहे सिंचाई के मामले में हो या फसल बीमा के बारे में। बहुत खराब स्थिति है कई बार तो किसानों के खाते से पैसे भी कट जाते हैं, लेकिन किस लिए काटे और क्यों काटे नहीं पता चलाता।"

वो आगे बताते हैं, "केंद्र की स्वास्थ्य बीमा योजना को लेकर ग्रामीण जरूर जानते है लेकिन जब स्मार्ट कार्ड से ग्रामीण इलाज कराने अस्पताल जाते है तो उनके स्मार्ट कार्ड से कितना पैसा कट रहा या कितना पैसा का सुविधा मिलना है यह तक ग्रामीणों को नही पता।"

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