राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्‍मानित टीचर, सरकारी स्‍कूल के बच्‍चों को दे रहे हाईटेक ज्ञान

Update: 2019-08-17 09:58 GMT

देश में एक ऐसा सरकारी स्‍कूल है जहां बच्‍चे ह‍ाईटेक ज्ञान ले रहे हैं। इनको यह ज्ञान और कोई नहीं बल्‍कि राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्‍मानित ईश्‍वरी कुमार सिन्‍हा दे रहे हैं। लोग बताते हैं कि यह स्‍कूल 2008 तक आम सरकारी विद्यालय की तरह ही था लेकिन अब यह और स्‍कूलों से एकदम अलग हो गया है।



छत्‍तीसगढ़ के बालोद जिले के चिटौद गांव के सरकारी स्‍कूल में ईश्‍वरी कुमार सिन्‍हा एक अध्‍यापक हैं। वहां के बच्‍चों को पढ़ाने के लिए उन्‍होंने अपने जेब से लाखों रुपए खर्च कर दिए हैं। इस स्‍कूल में जिले के और स्‍कूलों की तुलना में सबसे अध‍िक बच्‍चे पढ़ते हैं। ईश्‍वरी बच्‍चों को प्रयोग के माध्‍यम से पढ़ाते हैं।

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उनका कहना कि बच्‍चों को बस किताबी बातों का ही नहीं ज्ञान होना चाहिए बल्‍कि उसे अन्‍य प्रयोग करने चाहिए। 2008 से मैं यहां हूं, यहां कोई संसाधन नहीं था। हमने बच्‍चों की पढ़ाई के लिए अपने जेब से लाखों रुपए खर्च किए हैं। बच्‍चों को पढ़ाई के लिए प्रोजेक्‍टर की व्‍यवस्‍था कराई है। इस स्‍कूल की सबसे खास बात यह है कि यहां के बच्‍चे ही बच्‍चों को पढ़ाते हैं। ये बच्‍चे इतने होनहार होते हैं कि वे 10 दिनों तक सभी विषयों को बारीकी से सीखते हैं फ‍िर उसे अन्‍य बच्‍चों को बांटते हैं।

ईश्‍वरी बताते हैं कि पहले हमारी मदद करने के लिए कोई आगे नहीं आया। इसके बावजूद हमने बच्‍चों के लिए काम किया। स्‍कूल की अच्‍छी व्‍यवस्‍था देखकर पंचायत भी मदद के लिए आगे आ गया। पूरे स्‍कूल में किताबों की लाइब्रेरी बनाई गई है। इसमें बच्‍चों को बंदिश नहीं है कि वो बस अपने कक्षा की ही किताब पढ़ें। बच्‍चों को स्‍कूल में ही हिंदी टाइपिंग करना सीखते हैं।

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स्‍थानीय ग्रामीण तेज बहादुर भंडारी का कहना है कि हमारा यह स्‍कूल और स्‍कूलों की तुलना में बहुत आगे निकल गया है। बच्‍चें यहां पर पढ़ाई के साथ-साथ अपने स्‍किल पर भी काम करते है। स्‍कूल में बच्‍चों को पढ़ाने के लिए माइक और साउंड लगाया गया है। इससे बच्‍चों के अंदर होने वाली भटक भी दूर हो जाती है। 

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