गंदा पानी गंगा में बहने के बजाए बाज़ारों में बिकेगा

Update: 2016-03-27 05:30 GMT
Gaon Connection

नई दिल्ली (भाषा)। गंगा को साफ करने की नरेन्द्र मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी ‘नमामि गंगे' परियोजना के तहत अब नदी में गिरने वाले गंदे पानी को रोककर उसे स्वच्छ करके बेचने की योजना बनाई जा रही है। पानी बेचने के लिए नए बाज़ार तलाशने की कवायद जारी है। इस संदर्भ में भारतीय रेलवे और नदी के किनारे लगे कुछ विद्युत संयंत्रों से करार भी हो चुके हैं।

जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने कहा कि गंगा को अविरल एवं निर्मल बनाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है। इसके लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम को आगे बढ़ाया जा रहा है। नदी के किनारे वाले क्षेत्र में वृक्षारोपण कार्य के अलावा नदी में बहाये जाने वाले गंदे जल को शोधित करने एवं शोधित जल के लिए बाजार तैयार करने का काम किया जा रहा है।

मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि गंगा नदी के बारे में किये गए अध्ययन से यह बात सामने आई है कि जितने भी जलमल शोधन संयंत्र हैं, उनमें से 40 प्रतिशत ही काम कर रहे हैं। इसके चलते नदी में 90 प्रतिशत गंदा एवं प्रदूषित जल बिना शोधित अवस्था में बहाया जा रहा है। यह सबसे बडी चुनौती है।

जल संसाधन मंत्रालय शोधित जल को बेचने के लिए भी रुपरेखा तैयार कर रहा है। अधिकारियों ने बताया इस पहल के तहत रेलवे के साथ एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया गया है। इसके तहत शोधित जल का उपयोग रेलवे कोच और पटरियों की साफ सफाई में किया जाएगा। 

इसके अलावा गंगा नदी के 50 किलोमीटर के दायरे में जो भी विद्युत संयंत्र होंगे, वे शीतलन के लिए इसके शोधित जल का उपयोग करेंगे न की बाहर से खरीदे गए स्वच्छ जल का।

गंगा को निर्मल बनाने के लिए कुछ समय पहले जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय के साथ विद्युत संयंत्रों, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, स्वच्छता एवं पेयजल मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, पर्यटन मंत्रालय, आयुष मंत्रालय, युवा एवं खेल मंत्रालय, पोत परिवहन मंत्रालय ने सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किया था। 

सहमति पत्र के अनुसार, गंगा को अविरल एवं निर्मल बनाने के लिए सात मुख्य क्षेत्रों की पहचान की गई है साथ ही 21 कार्य बिन्दु तय किये गए हैं। गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए सरकार ने 2015 से 2020 के दौरान करीब 20 हजार करोड़ रुपये का कार्यक्रम तय किया है जिसमें 12728 करोड़ रुपये नये कार्यक्रमों के लिए तथा 7272 करोड रुपये अभी जारी कार्यक्रमों के लिए हैं।

भारतीय वानिकी संस्थान (एफआरआई) ने एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की है। इसके तहत मृदा और जल संरक्षण, नदी किनारे के वन्य जीव प्रबंधन, दलदली भूमि का प्रबंधन जैसे संरक्षण हस्तक्षेपों के अलावा प्राकृतिक, कृषि और शहरी क्षेत्रों में व्यापक वृक्षारोपण तथा नीति और कानूनी हस्तक्षेपों, संयुक्त शोध, निगरानी और मूल्यांकन जैसी सहायक गतिविधियों तथा जन जागरण अभियानों की परिकल्पना की गई है।

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