गंगा के औषधीय गुणों के अध्ययन पर रिपोर्ट जल्द आयेगी: उमा

Update: 2016-06-07 05:30 GMT
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नई दिल्ली (भाषा)। सरकार गंगा नदी के औषधिय गुणों और प्रवाह मार्ग पर जल के स्वरुप एवं इससे जुड़े विभिन्न कारकों का अध्ययन करा रही है। यह अध्ययन राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग शोध संस्थान (निरी) कर रहा है और यह जल्द ही अपनी रिपोर्ट पेश करेगा।

जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने बताया, ‘‘गंगा नदी में औषधीय गुण हैं जिसके कारण इसे ‘ब्रह्म द्रव्य' कहा जाता है और जो इसे दूसरी नदियों से अलग करता है। यह कोई पौराणिक मान्यता का विषय नहीं है बल्कि इसका वैज्ञाणिक आधार है।'' उन्होंने कहा कि गंगा नदी के औषधीय गुणों के बारे में वरिष्ठ शिक्षाविद प्रो. भार्गव का सिद्धांत भी है।

उमा ने कहा कि इसके पीछे यह कारण बताया गया है कि हिमालयी क्षेत्र औषधियों से भरा हुआ है जो शीत रितु में बर्फ से दब जाते हैं। बाद में बर्फ पिघलने के बाद यह औषधियां पानी के साथ गंगा नदी में मिल जाती है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गंगा नदी के औषधीय गुणों एवं प्रवाह मार्ग से जुड़े कारणों के अध्ययन का दायित्व राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग शोध संस्थान (निरी) को दिया गया था। इसके लिए तीन मौसमों के अध्ययन की जरुरत थी और इस बरसात के बाद संस्थान अपनी रिपोर्ट पेश कर देगा। उन्होंने कहा कि इस अध्ययन में इस बात का भी पता लगाया जायेगा कि गंगा नदी के औषधीय गुण उसके पानी में विद्यमान हैं या धीरे-धीरे खत्त हो रहे हैं। इसके अलावा गंदगी एवं जलमल के प्रवाह से जुड़े विषयों का भी अध्ययन किया जायेगा।

उमा ने कहा कि इसमें गोमुख से गंगासागर तक जल प्रवाह से जुड़े तत्वों का भी अध्ययन किया जा रहा है। इसके अंतरगत टिहरी से पहले और टिहरी के बाद, नरौरा से पहले और नरौरा के बाद, कानपुर से पहले और कानपुर के बाद, पटना से पहले और पटना के बाद, पानी के स्वरुप में बदलाव का अध्ययन किया जा रहा है।

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