नई दिल्ली (भाषा)। गंगा को निर्मल और अविरल बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा कि सरकार इसके लिए अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक योजना बनाकर आगे बढ़ रही है। जिसमें एक तरफ नदी का न्यूनतम पारिस्थितिकी प्रवाह सुनिश्चित किया जाएगा तो दूसरी ओर इन योजनाओं को आगे बढ़ाने में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) से साथ साथ ऑडिट कराई जाएगी।
जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री ने कहा कि गंगा नदी की तुलना हम राइन या टेम्स नदी से नहीं कर सकते। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें विभिन्न धार्मिक अवसरों समेत औसतन प्रतिदिन 20 लाख लोग और एक साल में औसतन 60 करोड़ लोग डुबकी लगाते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘गंगा को साफ करने के दीर्घकालीन कार्य में 10 वर्ष का समय लग सकता है। यह भी देखना होगा कि गंगा में पानी कैसे रहे ताकि अविरलता और निर्मलता बनी रहे। जहां तक गंगा नदी में प्रवाह सुनिश्चित करने की बात है, हमने पनबिजली संयंत्र स्थापित करते समय यह आग्रह किया है कि इस बात का ध्यान रखा जाए कि नदी का न्यूनतम इकोलाजिकल फ्लो (परिस्थितिकी प्रवाह) बना रहे।’’
केंद्रीय मंत्री ने साफ किया, इस विषय पर बिजली मंत्रालय के साथ कोई मतभेद नहीं है। सभी का मानना है कि नदी में इकोलॉजिकल फ्लो सुनिश्चित करना होगा। उन्होंने कहा कि नदी में प्रवाह बनाये रखने के लिए ‘नद्य-ताल’ योजना को आगे बढ़ाया जा रहा है, जिसके तहत राज्यों से कहा गया है कि नदियों से जुड़े पुराने तालाबों की जानकारी दें, साथ ही सहायक नदियों में गाद साफ करने एवं उन्हें बहाल करने की पहल को आगे बढ़ाया जा रहा है।