हादसे को दावत दे रहा पुल

Update: 2015-11-22 05:30 GMT

बाराबंकी। एक तरफ जहां राज्य और केंद्र सरकारें शहरों में बड़े-बड़े पुलों व ओवर ब्रिजों का निर्माण करा रही है वही गाँवों में लोग आज भी लकड़ी के बने पुलों पर चलने को मजबूर हैं, इन खतरनाक लकड़ी के बने पुलों पर लोग जान जोखिम में डालकर गुजरने को मजबूर हैं।

बाराबंकी मुख्यालय से 42 किमी उत्तर दिशा में तहसील फतेहपुर के गाँव

टण्डवा के पास से निकलने वाली सुलभ नदी पर ग्रामीणों ने एक लकड़ी का पुल बनाया है। ब्रह्मा पुरवा, सैलक, गोडियन पुरवा, क्ववाडर, नउअन पुरवा जैसे दो दर्जन गाँव के लोग इस लक ड़ी के पुल से निकलने को मजबूर है। 

यह क्षेत्र स्वतन्त्र प्रभार मंत्री फरीद मो.किदवई का है। टण्डवा ग्राम प्रधान प्रतिनिधि पप्पू यादव बताते है,''चुनाव के वक्त बड़े-बड़े नेता आये और इस पुल को बनवाने का वादा करते है और चुनाव हो जाने के बाद भूल जाते हैं। हमारे जिले में कैबनिट मंत्री तक हैं पर हम लोगों की किस्मत में शायद लकड़ी का पुल ही लिखा है। इस पुल से होकर प्राथमिक विद्यालय के छात्र और ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालक र जाते हैं। उनके अन्दर एक भय बना रहता है कि कही यह पुल टूट न जाए जिससे कोई बड़ा हादसा हो जाए।"

रिपोर्टर - वीरेन्द्र वर्मा

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