रायबरेली। किसान सुनील त्रिवेदी (48 वर्ष) का 20 बीघे में लगाया गया धान पिछले वर्ष ओलावृष्टि से बर्बाद हो गया था। आपदा के कारण उन्हें करीब 50 हज़ार का नुकसान झेलना पड़ा।
लगभग एक वर्ष से सरकारी राहत चेक का इंतज़ार कर रहे सुनील त्रिवेदी बताते हैं, ‘’गाँव के कई लोगों को 1,000 से 1,500 रुपए तक के आपदा राहत चेक मिले पर हमें अभी तक एक पैसा नहीं मिला है। इसके बारे में जब हमने लेखपाल से पता किया तो उन्होंने बताया कि पहले गरीब किसानों को राहत मिलेगी फिर दूसरे संपन्न किसानों को सहायता दी जाएगी।” वर्ष 2015 में खरीफ की फसल ओलावृष्टि से बर्बाद हो गई थी।
इस क्रम में सरकार ने किसानों को आपदा राहत देने का निर्णय लिया था। रायबरेली जिले के हरचंदपुर ब्लॉक के पंडित का पुरवा गाँव के कई किसानों को लगभग एक वर्ष बीत जाने के बाद प्रदेश सरकार द्वारा प्रदत्त प्राकृतिक आपदा राहत चेक नहीं मिलने से उनमें शासन-प्रशासन की योजनाओं पर अब कोई भरोसा नहीं रहा।
रायबरेली जिले में बांटे जा रहे आपदा राहत चेक का ब्यौरा देते हुए सूर्यपाल गंगवार, जिलाधिकारी (रायबरेली) ने गाँव कनेक्शन को बताया, ‘’सरकार से मिली आर्थिक मदद के बाद अभी तक जिले में सिर्फ 30 फीसदी किसानों को ही राहत राशि बांटी गई है। हमने सरकार से आपदा राहत के लिए 192 करोड़ की मांग की थी पर 104 करोड़ की राशि ही मिली है। जल्द ही बचे हुए किसानों की मदद की जाएगी।”
हरचंदपुर कस्बे के निवासी संदीप गौतम ( 50 वर्ष ) बताते हैं, “गाँव में कुछ लोगों को आपदा राहत चेक मिला, लेकिन सिर्फ पहुंच वालों को, जिन किसानों की पहुंच तहसील मुख्यालयों तक नहीं थी, उन्हें अभी तक चेक नहीं मिला हैं।’
किसी भी तरह की आपदा के बाद राहत देने की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्य सरकारों की होती है। इसके लिए पैसे दो स्रोतों (राष्ट्रीय आपदा राहत कोष और राज्य आपदा राहत कोष) से आते हैं। इसमें केंद्र का 75 फीसदी और 25 फीसदी राज्य का योगदान होता है। किसी भी तरह की आपदा के बाद राहत देने की प्राथमिक ज़िम्मेदारी राज्य सरकारों की होती है।
सौम्या त्रिवेदी
स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
छात्र -बाल विद्या मंदिर इंटर कॉलेज, गंगागंज, पंडित का पुरवा