लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज अपनी सरकार के अफसरों को चाशनी लिपटी चेतावनी देते हुए कहा कि हम अफसरों से प्यार से काम लेना चाहते हैं।
मुख्यमंत्री ने आईएएस सप्ताह समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘अफसरों पर कार्रवाई से जनता खुश होती है। हमारा वोट बढ़ता है, मगर हम अफसरों से प्यार से काम लेना चाहते हैं’’। उन्होंने कहा, ‘‘यदि हमारा वोट घटेगा तो अफसरों को भी परेशानी होगी’’। अखिलेश ने इस मौके पर चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार के विकास एजेन्डे का लोकार्पण किया और कहा, “सरकार का पांचवा साल चल रहा है और विकास एजेंन्डे को इसी साल पूरा करना है”।उन्होंने यह भी कहा कि अच्छा काम करने वाले अफसर पुरस्कृत किये जायेंगे। कानून एवं व्यवस्था को लेकर विपक्षी दलों के हमलों का शिकार होते रहे मुख्यमंत्री ने कहा, “दूसरे राज्यों के आंकड़ें देख लें, उनके मुकाबले उत्तर प्रदेश में अपराध कम हैं”।
इस मौके पर संवाददताओं से बातचीत में मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश विधानसभा के 2017 चुनाव को लेकर एक मीडिया चैनल के सर्वे की खिल्ली उड़ाते हुए कहा, “चुनाव दूसरे प्रदेशों में हो रहा है, लेकिन सर्वे उप्र के बारे में, यहां तो चुनाव में अभी एक साल बाकी है”। उन्होंने किसी दल का नाम लिए बगैर विपक्षी पार्टियों पर तंज कसते हुए कहा, “कई पार्टियों के पास दूल्हा ही नहीं है, मेरे पास तो कमियां दूर करने के लिए एक साल का मौका है”।
अखिलेश ने यह भी कहा कि आलोचना करने वाले भी होने जरुरी हैं। क्योंकि इससे कमियां दूर करने का मौका मिलता है।
आाईएएस सप्ताह समारोह को सरकार और अधिकारियों के बीच अनुभव साझा करने के लिए एक अच्छा अवसर बताते हुए मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार की विभिन्न योजनाओं एवं उपलब्धियों का जिक्र किया। साथ ही यह भी कहा, “जनता अपने लाभ को समझती है और विरोधियों एवं सर्वे के बहकावे में आने वाली नहीं है”। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर अपने आवास पर आईएएस अधिकारियों के लिए एक भोज का आयोजन किया। मार्च 20 को सीएम इलेवन और आईएएस इलेवन के बीच एक क्रिकेट मैच भी खेला जायेगा।
सर्वे में अखिलेश ने मारी बाजी
निजी एजेंसियों के जो सर्वे आए हैं, उसमें लोगों ने मुख्यमंत्री पद के लिए पहली पसंद अखिलेश यादव को बताया है। हालांकि वे मात्र एक फीसदी से बसपा सुप्रीमो मायावती से आगे हैं। सर्वे में अखिलेश 31 फीसदी और मायावती 30 फीसदी लोगों की पसंदीदा मुख्यमंत्री हैं। सर्वे में 63 फीसदी से ज्यादा लोगों ने अखिलेश सरकार के चार साल के कार्यकाल में हुए कामकाज को अच्छा या औसत बताया है जबकि 36 फीसदी लोगों ने इसे खराब या बेहद खराब बताया है। ज्यादा को प्रदेश की कानून व्यवस्था से परेशानी है।