ज़िलों में दूर होगी डॉक्टरों की कमी

Update: 2016-04-23 05:30 GMT
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लखनऊ। जिला अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों पर विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए शासन ने नई पहल की है। इसके तहत संविदा पर विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती की जा रही है। प्रत्येक सप्ताह गुरुवार को लखनऊ में साक्षात्कार के बाद उन्हें उनकी पसंदीदा जगह पर तैनाती मिल रही है। इतना ही नहीं तैनाती का स्थान जितना सुदूर व मुश्किल होगा, वेतन उतना ही अधिक।

 मुश्किल स्थानों के लिए वेतन एक लाख बीस हजार रुपये प्रतिमाह तक निर्धारित है। पहले चरण में प्रदेश के 286 अस्पतालों को चिन्हित किया है, जिसमें जिला संयुक्त चिकित्सालय, महिला अस्पताल व प्रथम संदर्भन इकाई स्तर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं। सुदूर व पहुंचने में कठिनाई के आधार पर संबंधित इलाकों में स्थित अस्पतालों को ए, बी व सी श्रेणियों में विभाजित किया गया है।

सबसे कठिन इलाके को सी श्रेणी में रखा गया है। चिन्हित 286 अस्पतालों में ए श्रेणी के 89, बी श्रेणी के 135 तथा सी श्रेणी के 62 अस्पताल हैं। प्रदेश में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को देखते हुए उम्र सीमा में छूट देते इसे 65 वर्ष निर्धारित किया गया है। नियुक्त के बाद इनके कार्य का मूल्यांकन भी किया जाएगा, जिसके आधार पर जिला स्वास्थ्य समिति संविदा की अवधि बढ़ाएगी। इस संबंध में गोरखपुर के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मंडलीय लेखा प्रबंधक मो. इफ्तखार हसन का कहना है, “प्रक्रिया शुरू हो गई है। जल्द ही प्रदेश में डॉक्टरों की कमी दूर हो जाएगी।”

अस्पतालों की श्रेणी का आधार

अस्पतालों की ए, बी या सी श्रेणी निर्धारित करने में जिला अस्पतालों या स्वास्थ्य केंद्रों की भौगोलिक स्थिति मसलन जिला, तहसील या ब्लाक मुख्यालय से दूरी, अस्पताल द्वारा आच्छादित क्षेत्रफल व जनसंख्या तथा दुर्गमता, क्षेत्र का पिछड़ापन, नक्सली प्रभावित क्षेत्र या लंबे समय से विशेषज्ञों की कमी आदि आधार होगा।

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