जानें क्या है मृत्यु प्रमाण पत्र और उसकी ज़रूरत ?

Update: 2016-05-30 05:30 GMT
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मृत्यु प्रमाण पत्र एक दस्तावेज होता है जिसे मृत व्यक्ति के निकटतम रिश्तेदारों को जारी किया जाता है, जिसमें मृत्यु का तारीक तथ्य और मृत्यु के कारण का विवरण होता है। मृत्यु का समय और तारीख का प्रमाण देने, व्यक्ति को सामाजिक, न्यायिक और सरकारी बाध्यताओं से मुक्त करने के लिए, मृत्यु के तथ्य को प्रमाणित करने के लिए सम्पत्ति संबंधी धरोहर के विवादों का निपटान करने के लिए और परिवार को बीमा एवं अन्य लाभ जमा करने के लिए प्राधिकृत करने के लिए मृत्यु का पंजीकरण करना अनिवार्य है।

ऐसे प्राप्त करें मृत्यु प्रमाण पत्र

मृत्यु की रिपोर्ट या इसका पंजीकरण परिवार के मुखिया द्वारा किया जा सकता है यदि यह घर पर होती है। यदि यह अस्पताल में होती है तो चिकित्सा प्रभारी द्वारा। यदि यह जेल में होती है तो जेल प्रभारी के द्वारा। यदि शव लावरिस पड़ा हो तो ग्राम के मुखिया या स्थानीय स्थान प्रभारी द्वारा किया जाता है। मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए आवेदन करने के लिए आपको पहले मृत्यु का पंजीकरण कराना है। मृत्यु का पंजीकरण संबंधित प्राधिकारी के पास इसके होने के 21 दिनों के भीतर पंजीयक द्वारा निर्धारित प्रपत्र भर करके किया जाना है। तब उचित सत्यापन के बाद मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किया जाता है।यदि मृत्यु होने के 21 दिन के भीतर इसका पंजीकरण नहीं किया जाता है तो पंजीयक/क्षेत्र मजिस्ट्रेट से निर्धारित शुल्क के साथ यदि विलम्ब पंजीकरण है तो अनुमति अपेक्षित है। 

कानूनी ढांचा

भारत में कानून के अधीन (जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969) प्रत्येक मृत्यु का इसके होने के 21 दिनों के भीतर संबंधित राज्य/संघ राज्य क्षेत्र में पंजीकरण करना अनिवार्य है। सरकार ने केन्द्र में महापंजीयक, भारत के पास और राज्यों में मुख्य पंजीयकों के पास गांवों में जिला पंजीयकों द्वारा चलाने जाने वाले और नगरों के पंजीयक परिसर में मृत्यु का पंजीकरण करने के लिए सुपारिभाषित प्रणाली की व्यवस्था की है।

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