जैविक खेती बनी किसानों की नई पसंद

Update: 2016-03-25 05:30 GMT
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लखनऊ। पूरी तरह से रासायनिक उर्वरकों पर निर्भर किसानों का रुझान जैविक खेती की तरफ बढ़ रहा है। क्योंकि जैविक उत्पादों का बाजार भी तेजी से बढ़ा है।

फैजाबाद ज़िले से लगभग 37 किमी दक्षिण में सोहआवल ब्लॉक के बहराएं गाँव के किसान राकेश दुबे ने जैविक खेती शुरुआत की है। राकेश दुबे बताते हैं, ‘‘पहले मैं भी उर्वरकों से खेती करता था, लेकिन अब पूरी तरह से जैविक खेती करता हूं। राष्ट्रीय जैविक खेती केन्द्र के अनुसार देश में लगभग 10,58,648 हेक्टेयर में 59,78,73 किसान जैविक खेती करते हैं। जबकि प्रदेश में 53,54,5.23 हेक्टेयर में 31976 किसान जैविक खेती कर रहे हैं।  

जैविक खेती करने वाले किसानों को प्रमाण पत्र भी दिया जाता है। प्रमाण पत्र होने से किसानों को अपने उत्पादों को बेचने में परेशानी नहीं होती है। लगातार तीन साल तक जैविक खेती करने वालों का प्रमाण बनता है। जिसके बाद ही वह बाजार में अपने उत्पाद को प्रमाणिक जैविक उत्पाद के तौर पर बेच सकता हैं। जैविक उत्पादों को बेचने वाली कंपनी आर्गेनिक इंडिया के मार्केटिंग मैनेजर डॉ. अमित कुमार बताते हैं, ‘‘किसानों को जैविक उत्पादों की घरेलू, अंतर्राष्ट्रीय मार्केटिंग और निर्धारित मानकों को पूरा करने के लिए प्रमाणपत्र की आवश्यकता होती है।’’ 

भारतीय जैविक खेती संगठन से जुड़े हुए बांदा ज़िले के बड़ोखर खुर्द गाँव के प्रेम सिंह पिछले तीस वर्षों से अपने 25 एकड़ खेत में पूरी तरह से जैविक खेती कर रहे हैं। प्रेम सिंह बताते हैं, ‘‘अब किसान और उपभोक्ता दोनों जैविक खेती की उपयोगिता समझ रहे हैं, अभी मुझसे सौ से भी ज्यादा किसान जुड़े हैं।’’ प्रेम सिंह ने जैविक उत्पादों की प्रसंस्करण इकाई भी लगायी है। इस बारे में वो आगे कहते हैं, “जैविक उत्पादों को बेचने में परेशानी भी नहीं होती है, मेरे उत्पाद दिल्ली तक जाते हैं।”

सरकार ने बनवाईं नौ प्रयोगशालाएं 

जैविक खेती के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है, इस विषय पर कृषि रक्षा विभाग के उपनिदेशक कनीज फातिमा बताती हैं, ‘‘उत्तर प्रदेश सरकार ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए नौ आईपीएम प्रयोगशालाएं बनवाईं हैं, जहां जैविक कीटनाशक का उत्पादन होता है। वर्ष 2013-14 में कुल 253.30 मैट्रिक टन बायोपेस्टीसाइड्स का उत्पादन किया गया।’’ छोटे और सीमान्त किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार अनुदान भी देती है। कनीज फातिमा आगे बताती हैं, ‘‘प्रदेश सरकार जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए लघु एवं सीमान्त किसानों को 75 प्रतिशत का अनुदान भी देती है, जिससे किसान जैविक कृषि को अपना सकें।’’

जैविक खेती का दिया जा रहा प्रशिक्षण

भारतीय जैविक खेती संगठन देश के सभी प्रदेशों में किसानों को जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए काम करता है। भारतीय जैविक खेती संगठन सचिव शमिका मोने बताती हैं, ‘‘केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली, उत्तर प्रदेश जैसे कई प्रदेशों में हमारा संगठन जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए काम करता है। हज़ारों किसानों को हम प्रशिक्षण देते हैं, साथ ही उनके जैविक उत्पादों को बाजार भी दिलवाते हैं।’’ वो आगे कहती हैं, ‘‘कई प्रदेशों में तो जैविक उत्पादों के मूल्य निर्धारित कर दिये गए हैं, जिससे किसानों को परेशानी नहीं होती हैं।’’ 

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