जीवित होने का सबूत देने के लिए पेंशनयाफ्ता लोगों को अब बैंक जाने की ज़रुरत नहीं

Update: 2016-08-04 05:30 GMT
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नई दिल्ली (भाषा)। सरकार ने बताया कि पेंशन जारी रखने के लिए अब पेंशनयाफ्ता लोगों को जीवित होने का सबूत देने के के लिए बैंक जाने की ज़रुरत नहीं है।

कार्मिक, लोकशिकायत और पेन्शन राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह ने राज्यसभा को बताया कि केंद्र सरकार की पेंशन लेने वालों और पारिवारिक पेंशन लेने वालों को अब अपनी पेंशन जारी रखने में कोई प्रक्रियागत समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। अब उनके पेंशन नियमित रुप से बैंक में जाएगी और पेंशनयाफ्ता लोगों को जीवित होने का सबूत देने के लिए बैंक जाने की ज़रुरत नहीं है।

उन्होंने एक प्रश्न के लिखित जवाब में बताया, ‘‘पेंशनयाफ्ता आधार आधारित बायोमीट्रिक प्रमाणीकरण के जरिये या फिर इस उद्देश्य के लिए सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी के हस्ताक्षर के साथ इसे ऑनलाइन पेश कर सकता है।'' उन्होंने कहा कि अगर पेंशनयाफ्ता व्यक्ति अपनी गंभीर बीमारी या असमर्थता के बारे में चिकित्सा प्रमाणपत्र सहित सूचना देता है तो बैंक की भुगतान शाखा का अधिकारी खुद ही घर या अस्पताल जा कर पेंशनयाफ्ता व्यक्ति का जीवन संबंधी प्रमाणपत्र दर्ज करेगा।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर 2014 में पेंशनयाफ्ता लोगों के लिए आधार आधारित डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र ‘‘जीवन प्रमाण'' की शुरुआत की थी। देश में करीब 58 लाख लोग केंद्र सरकार की पेंशन ले रहे हैं.

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