जिलों में वैक्सीन नहीं, पशु कैसे बचेंगे खतरनाक बीमारी से ?

Update: 2016-03-30 05:30 GMT
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लखनऊ। पशुओं की बीमारी खुरपका-मुंहपका से बचाने के लिए साल में दो बार लगने वाले टीके का अभियान उत्तर प्रदेश में लगातार पिछड़ रहा है। पशुपालन विभाग का दावा है कि 30 मार्च से सभी जिलों में टीकाकरण अभियान शुरू हो जाएगा, लेकिन कई जिलों में टीके ही नहीं पहुंच पाए हैं। 

“टीकाकरण को 14 मार्च से 18 जिलों में शुरू कर दिया गया है। बचे हुए जिलों में वैक्सीन न मिल पाने के कारण रोक दिया गया, लेकिन 30 मार्च तक पूर्णयता सभी जिलों में अभियान को शुरू कर दिया जाएगा।” डॉ. एपी सिंह, निदेशक, नियंत्रण एवं प्रक्षेत्र, पशुपालन विभाग, यूपी ने कहा। लेकिन जब हकीकत जानने के लिए कौंशाबी के पशु चिकित्साधिकारी डॉ एसपी पांडेय बात की गई तो उन्होंने कहा, “अभी मेरे पास वैक्सीन ही नहीं पहुंची है। जैसे ही आएगी टीकाकरण का काम शुरु कर दिया जाएगा। मेरे पास अभी निर्देश आया है कि टीकाकरण अभियान शुरु होने वाला है।”

खुरपका-मुंहपका ऐसी खतरनाक बीमारी है जिसके होने से पशुओं में एंटीबॉडीज नहीं बन पातीं, उनकी इम्युनिटी (रोगों से लड़ने की क्षमता) कम हो जाती है, इस बीमारी का वायरस हवा से फैलता है। 

देश भर में हर वर्ष लगभग 30 करोड़ दुधारू पशुओं (19 करोड़ गाय व 11 करोड़ भैंस) को खुरपका व मुंहपका बीमारी के टीके साल में दो बार लगाने का लक्ष्य है क्योंकि एक बार लगाया गया यह टीका छह माह तक काम करता है। देश में कुल तीस चालीस करोड़ टीके ही बमुश्किल उपलब्ध हैं। जबकि साल भर में कुल 60 करोड़ टीके लगने होते हैं, इसलिए यह रोग पर पूरी तरीके से काबू में नहीं आ पता। 

इस बारे में इंडियन वेटनरी रिसर्च इन्सटीट्यूट के पूर्व डारेक्टर व मौजूदा समय में सरदार वल्ल्भ भाई पटेल कृषि विवि के कुलपति डॉक्टर गया प्रसाद कहते हैं, “प्रदेश में दुधारू पशुओं के लिए चलने वाले खुरपका-मुंहपका टीकाकरण अभियान की स्थिति काफी खराब है, यहां के जि़म्मेदार अधिकारी वेक्सिनेशन करते ही बहुत कम हैं। इनसे रिकॉर्ड मांगो तो उल्टा सीधा बना कर बिना फील्ड में जाये रजिस्टर कॉपी भर कर दे देते हैं, क्योंकि उसका क्रॉस चेक नहीं होता और इनकी खामियां पकड़ी नहीं जाती। इस अभियान को तभी पूरा किया जा सकता है, जब इसको जि़म्मेदारी से पोलियो अभियान की तरह चलाया जाए।”

खुरपका मुहंपका रोग नियंत्रण टीकाकरण की शुरुआत 20 दिसम्बर 2013 को हुई थी। इस अभियान को पहले पूरे भारत के आठ राज्यों के 54 जिलों में चलाया गया, जिसमें यूपी के 16 जिले शामिल थे। वर्ष 2014 में उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में इस अभियान को शुरु कर दिया गया है। 

“पहले इस अभियान को चलाने का पूरा पैसा भारत सरकार देती थी, लेकिन अब 60 प्रतिशत भारत सरकार और 40 प्रतिशत राज्य सरकार देती है, जिसको मिलने में काफी दिक्कत होती है।” डॉ़ एपी सिंह ने बताया।

रिपोर्टर - दिति बाजपेई/सुनील तनेजा

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