नई दिल्ली (भाषा)। कुछ राज्यों में सूखे की स्थिति के बीच नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अमिताभ कान्त ने पानी को जिंस मानने की वकालत की है। उन्होंने कहा कि पानी जैसे सीमित संसाधन का लोग सम्मान करें इसके लिये ज़रूरी है कि इसका आर्थिक मूल्य तय किया जाये।
कान्त ने एक पैनल चर्चा में कहा कि जब तक आप पानी का मूल्य तय नहीं करेंगे तब तक आप इसकी आर्थिक लागत नहीं पायेंगे। पानी के लिये तब तक सम्मान नहीं मिलेगा जब तक कि लोगों को इसकी क़ीमत नहीं चुकानी पड़ेगी।
उन्होंने उदाहरण देते हुये कहा, ''इनमें से कई चीजें सिंगापुर जैसे छोटे शहरों से सीखी जा सकतीं हैं। उन्होंने पानी को बचाने की जहां तक बात है उस मामले में अच्छा काम किया है। बारिश का पानी, दोहरी पाइपिंग, पानी को एक जिंस की तरह मानना ताकि उसका मूल्यांकन किया जा सके।'' कांत ने कहा कि भारत को पानी के ईदगिर्द काफी कुछ करने की ज़रूरत है और इसमें पानी से जुड़ी समस्याओं को कोई एक समाधान नहीं है।
उन्होंने कहा, ''इसका कोई एक समाधान नहीं है। हमें जल संभरण के ईद-गिर्द काफी कुछ करने की जरूरत है। हमें संरक्षण के लिये बहुत कुछ करना है, पानी को फिर से इस्तेमाल लायक बनाने के लिये अनेक प्रस्तुतीकरण तैयार करने होंगे। इसके लिये बेहतर प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करना होगा।'' ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब सरकार के नीति निर्माताओं ने पानी का मूल्य तय करने की बात कही है। पूर्ववर्ती योजना आयोग ने भी इस मुद्दे पर विचार विमर्श किया था।