कचरे की खाद के इस्तेमाल पर मिलेंगे रुपए

Update: 2016-01-21 05:30 GMT
गाँव कनेक्शन

लखनऊ। केंद्र ने शहरी कचरे से बनने वाली खाद को बढ़ावा देने की नीति को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही सरकार ने कंपोस्ट खादों के इस्तेमाल पर किसानों को 1500 रुपये प्रति टन की सब्सिडी देने का फैसला किया है, ताकि इसके उत्पादन और उपयोग में बढ़ोतरी की जा सके।

बाजार विकास सहायता किसानों के लिए शहरी खाद के अधिकतम खुदरा मूल्य- एमआरपी में कमी लाएगी। शहर के कचरे से बनने वाली यह खाद न सिर्फ मृदा को कार्बन और प्राथमिक/द्वितीय पोषण उपलब्ध कराएंगी, बल्कि शहर को स्वच्छ रखने में भी सहायता करेगी। शहरी खाद से संबंधित ईको-मार्क मानक यह सुनिश्चित करेंगे कि किसानों तक जो उत्पाद पहुंचे, वह पर्यावरण के अनुकूल हों।

शहरी कचरे से बनने वाली खाद की बदौलत कचरे को उपयोगी जैव उत्पादों में परिवर्तित किया जा सकेगा और कचरा भरने वाली जगहों में कमी आएगी। इससे खतरनाक ग्रीनहाउस गैसों (विशेषकर मीथेन) और ऐसी जहरीली सामग्री का बनना भी रोका जा सकेगा, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ भू-जल को भी दूषित करती हैं।

उर्वरक कंपनियां शहरी खाद के बधावे के लिये गोद लेंगी गाँव

उर्वरक कंपनियां और बाजार इकाइयां अपने डीलरों के नेटवर्क के माध्यम से रासायनिक उर्वरकों के साथ शहरी खाद का भी विपणन करेंगी। कंपनियां खाद के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए गाँवों को भी गोद लेंगी। सरकारी विभाग और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम भी बागवानी और उससे संबंधित उपयोगों के लिए शहरी खाद का इस्तेमाल करेंगे।

सम्बगद्ध मंत्रालय/विभाग किसानों को शहरी खाद के फायदों से अवगत कराने के लिए आईईसी अभियान चलाएंगे और सभी राज्यों  में खाद संयंत्रों की संख्या  बढ़ाने के लिए कदम उठाए जाएंगे। आईसीएआर के केवीके सहित कृषि संबंधी कृषि विस्तार तंत्र भी इस संबंध में विशेष प्रयास करेंगे। कृषि विश्वविद्यालय और केवीके शहरी खाद के इस्तेमाल की गतिविधियों का प्रदर्शन करेंगे, जिसके लिए कृषि, सहयोग और किसान कल्याण विभाग उन्हें लक्ष्य प्रदान करेगा।

प्रारंभ में शहरी खाद का विपणन और उसे बढ़ावा देने का कार्य मौजूदा उर्वरक कंपनियों द्वारा किए जाने का प्रस्ताव है।

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