लखनऊ। केजीएमयू में पैथालॉजी की महंगी हुई जांचों पर एडवाइजरी कमेटी ने अपनी मुहर लगा दी है। अब मरीजों को ब्लड जांच के लिए दोगुना शुल्क देना पड़ेगा। इससे मरीजों पर अब जांच का आर्थिक बोझ बढ़ेगा।
केजीएमयू में भर्ती मरीज संतोष मिश्रा (52 वर्ष) बताते है कि अब गरीबों को इलाज करवाना बहुत मुश्किल हो गया है। प्राईवेट अस्पतालों में तो पैसे पड़ते ही थे लेकिन अब सरकारी अस्पताल में भी जांच के लिए 90 से अधिक रुपए लिए जाएंगे। तो गरीब मरीज ऐसे में कहां इलाज करवाएंगे।
केजीएमयू ने किया है अनुबंध
केजीएमयू में मरीजों का इलाज महंगा हो रहा है। बेड चार्ज के साथ ही जांचों के दाम बढ़ने से मरीजों का औसतन 30 से 40 प्रतिशत इलाज बढ़ गया है।
ज्ञात हो कि केजीएमयू प्रशासन ने पैथोलॉजी जांचों के लिए सर्विस प्रोवाइड निजी संस्था पीओसीटी के साथ अनुबंध किया है। इस अनुबंध के तहत केजीएमयू के विभिन्न विभागों में होने वाली जांचों की सुविधा पीओसीटी उपलब्ध कराएगी। बदले में उसे मरीजों से लिए जाने वाले शुल्क का 50 प्रतिशत हिस्सा ही मिलेगा।
महंगाई का दिया हवाला
केजीएमयू प्रशासन के अनुसार जांचों के शुल्क में 20 से 50 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी थी और इसे लागू किया था। ये बढ़ी दरें क्वीन मेरी, डेंटल, आर्थो, गठिया व ट्रामा में लागू हुई तो इसको लेकर विरोध भी हुआ मगर केजीएमयू प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। उनका तर्क था कि समय के साथ महंगाई बढ़ रही है तो जांचों को महंगा करना मजबूरी है। उनकी इस बात का समर्थन एडवाइजरी कमेटी के सदस्यों ने किया।
हर साल घटने के बजाय बढ़ रहे है कैंसर के मरीज
लखनऊ। अन्तर्राष्ट्रीय मादक पदार्थ विरोधी दिवस 26 जून 2016 को मनाया जाता है। हर साल इस दिवस को मनाने का मकसद सिर्फ इतना सा है कि लोग इससे जागरूक हो और नशीली पदार्थो का सेवन करना बन्द कर दे, लेकिन तस्वीर इससे उलट है हर साल केजीएमयू विभाग में तम्बाकू से होने वाले कैंसर के मरीजों में हर साल लगभग 500 कैंसर के मरीजो में इजाफा हो रहा है इसके साथ ही बच्चों में हो रहे कैंसर में भी बढ़ोतरी हुयी है।
इसका कारण बच्चे पैंसिव स्मोकिंग कर शिकार जल्दी हो जाते हैं और धुम्रपान करने वाले का धुआ व्यस्को के मुकाबले बच्चों के गुर्दो को जल्दी अपनी गिरफ्त में ले लेता है। डॉ. सूर्यकान्त रेस्पटरी मेडिसिन विभाग किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष बताते हैं। तम्बाकू आज के समय में फैल रही अधिकांश बीमारियों के पीछे एक बड़ी वजह है। इस लत का शिकार तेजी से युवा पीढ़ी और खासकर महिलाएं हो रहीं हैं। हमारे देश में 184 लाख लोग तम्बाकू का सेवन करते हैं, जिसमें 20 प्रतिशत लोग सिगरेट का सेवन करते हैं, जबकि 40 प्रतिशत बीड़ी और 40 प्रतिशत तम्बाकू का प्रयोग गुलमंजन में करते हैं।
रेस्पटरी मेडिसिन विभाग किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकान्त बताते हैं, “धूम्रपान के इस्तेमाल से 500 तम्बाकू में गैस एवं 4000 अन्य रासायनिक पदार्थ निकलते हैं, जिनमें निकोटिन और टार प्रमुख है। विभिन्न शोधों द्वारा पता लगा है कि 580 रासायनिक पदार्थ कैंसरकारी पाए गये हैं।” विश्वभर में होने वाली मृत्यु में 50 प्रतिशत मौतों का कारण तम्बाकू है, जिसके चलते रक्त संचरण प्रभावित हो जाता है, बल्ड प्रेशर की समस्या भी हो सकती है, सांस फूलने लगती है और नित्य क्रियाओं में अवरोध आने लगता है।
रिपोर्टर - सतीश कुमार सिंह