लखनऊ। चिपचिपी गर्मी और बदलते मौसम के चलते जहां सरकारी अस्पतालों में मरीजों की लाइन लगी हुई है वहीं मरीजों को दवाओं और जांच के लिए भी पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं।
केजीएमयू की ओपीडी में लाइन लगी रहती है तो मानसिक अस्पताल की दवा वितरण कक्ष में ओपीडी के वक़्त भी सन्नाटा पसरा रहता है। यहां मरीजों को दवाईया नही मिल रही है। डॉक्टर बाहर से दवाइयां लिख रहे हैं।
सुल्तानपुर से पत्नी रिहाना बानों का इलाज कराने आए मो. इखलाक बताते हैं, "बच्चेदानी में परेशानी है, डॉक्टर ने जो जांच बताई है वो बहुत महंगी है, दवा भी बाहर से लिखी हैं। हम मज़दूर आदमी हैं, किराया भाड़ा खर्च करके आए थे इलाज में पैसे नहीं लगेंगे लेकिन यहां तो और खर्चा बढ़ गया।" इखलाक का छह साल के बेटे की भी इलाज के दौरान यहीं मौत हो चुकी है।
मरीजों का कहना है कि दवाईयों का खेल चल रहा है। ओपीडी डॉ. अभिषेक ने बाराबंकी से आई राम पति को बाहर की दवाइयां लिख दीं। रामपति के पति राम उजागर ने बताया, पत्नी के मुंह से खांसने पर खून आ रहा थी, डॉक्टर ने पर्चे पर दवाइंया लिखी तो वितरण केंद्र को लेकिन वहां कोई दवा नहीं मिलीं। मजबूरी में बाहर के एक मेडिकल स्टोर से 745 रुपये की देवा लेनी पड़ी।"
इखलाक और रामउजागर की तरह प्रदेश के कोने-कोने से हजारों लोग रोजाना केजीएमयू आते हैं लेकिन उन्हें यहां पहले तो डॉक्टर को दिखाने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है फिर बाहर से लिखी गईं दवाइयों के बिल से उनका दर्द और बढ़ जाता है।
वहीं केजीएमयू के सीएमएस डाक्टर एससी तिवारी बाहर से दवा लिखऩे से ही इनकार करते हैं। वो बताते हैं, फिलहाल ऐसा कोई मामला मेरे सामने नहीं है। अगर कोई डॉक्टर बाहर दी दवा लिखते पकड़ा गया तो कार्रवाई करेंगे वैसे ओपीडी के दवा वितरण केंद्र में सभी ज़रूरी दवाइयां उपलब्ध हैं।"
रिपोर्टर - दरख़्शां कादिर सिद्दिकी