नारियल की घटती खेती को पहचान देंगे केरला के 44 ‘केरा ग्राम’

Update: 2017-05-05 14:54 GMT
नारियल की खेती को मिलेगा बढ़ावा।

लखनऊ। केरला में इस समय फ़ीकी पड़ी नारियल की खेती को बढ़ावा देने के लिए नई योजना बनाई जा रही है। इसके तहत उच्च उपज देने वाली नारियल की किस्मों को लगाया जाएगा। साथ ही 44 केरा ग्राम (नारियल की खेती के लिए इकाइयां) स्थापित किए जाएंगे जो नारियल की खेती के लिए जाने जाएंगे।

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कृषि मंत्री वी एस सुनील कुमार ने बताया कि केरल सरकार ने अच्छा उत्पादन देने वाली नारियल की किस्मों को लगाने का फैसला किया है जिससे नारियल खेती एक बार फिर से अच्छे और बेहतर स्तर पर शुरू की जा सके। इसके लिए केरा ग्रामों की मदद ली जाएगी जो नारियल उतपादन और उसके विकास के क्षेत्र में काम करेंगे। नारियल के पेड़ को मलयालम भाषा मेें केरा कहा जाता है। इस योजना के लिए लगभग 33 करोड़ रुपए की धनराशि रखी गई है। 250 एकड़ में नारियल की खेती की जाएगी।

इस योजना का उद्देश्य नारियल के उत्पादन में बढ़ोतरी करना है। इस समय नारियल की बौना किस्मों की कमी है जिसके लिए इस किस्म के ज्यादा से ज्यादा पौधे तैयार किे जाएंगे जिससे अच्छी गुणवत्ता का उत्पादन नारिल किसानों को मिल सके और वे मुनाफा कमा सकें।

राज्य में 20 फीसदी तक घटी नारियल की खेती, क्यों?

सुनील कुमार के मुताबिक हाल ही में राज्य के नारियल पेड़ों की उत्पादकता लगभग 15 से 20 प्रतिशत नीचे आ गई है। पेड़ों में लगे रोग की वजह से ऐसा हुआ। इसके अलावा, नारियल की खेती के तहत कुल क्षेत्र में वाणिज्यिक प्रयोजनों के लिए जमीन ली गई जिससे खेती पर इसका असर पड़ा है। कुल 36,891.22 हेक्टेयर क्षेत्र में लगी फसल खराब हो चुकी है। इसके साथ ही जलाशयों में जल स्तर में आई कमी से भी नारियल खेती का क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इतना ही नहीं, कीटनाशकों के इस्तेमाल से भी नारियल के उत्पादन में कमी आई है।

खेती के साथ सुधारी जाएगी मिट्टी की गुणवत्ता

बारिश की कमी की वजह से नारियल खेती के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले खेतों में मिट्टी की अम्लता बढ़ गई है। इससे खेती में काफी समस्याएं आ सकती हैं जैसे पौधों का एक समान न विकसित होना, खराब उत्पादन और गुणवत्ता। इसलिए इसके बचाव के लिए मिट्टी में कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड मिलाया जाएगा जो मिट्टी को पोषण देगा। इसके बाद ही पौधों को लगाया जाएगा।

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