लखनऊ। सरकार किसानों की मदद करने के लिए हर साल करोड़ों रुपए की कृषि सब्सिडी देती है। लेकिन इसका लाभ हकदार किसानों को नहीं मिल रहा। यूपी के अलग-अलग ज़िलों के किसानों की ओर से गाँव कनेक्शन को ये शिकायत मिली है कि कृषि सब्सिडी अमीर किसानों को तो मिल जाती है लेकिन गरीब किसान उसका फायदा नहीं उठा पाता।
खेती के नाम पर खरीदे गए कृषि उपकरणों का जमकर व्यवसायिक इस्तेमाल हो रहा है। उनके क्षेत्र के कुछ ऐसे लोग हैं जो वास्तव में किसान नहीं हैं लेकिन खुद को किसान बताकर पहले तो वो कृषि उपकरणों पर मिलने वाली सब्सिडी का फायदा उठाते हैं फिर खेती के बजाय उन उपकरणों का इस्तेमाल व्यवसायिक ज़रूरतों के लिए करते हैं। यूपी के फैज़ाबाद ज़िले के किसान विवेक सिंह (30 वर्ष) बताते हैं, ‘’कृषि उपकरणों पर मिलने वाली सब्सिडी का फायदा आम किसानों को नहीं मिल रहा है। पहले से ही अमीर और समृद्ध किसान इसका फायदा उठा रहे हैं। गरीब किसान के पास ना तो सोर्स होता है और ना ही सिफारिश जिसकी वजह से वो सब्सिडी का फायदा नहीं उठा पाते हैं। किसानी के नाम पर लिए जाने वाले कृषि उपकरणों का जमकर व्यवसायिक इस्तेमाल हो रहा है।’’
अर्थशास्त्री सोमेश शुक्ला भी किसानों को कृषि उपकरणों पर दी जानी सब्सिडी को खत्म करने की वकालत करते हैं। सोमेश शुक्ला बताते हैं, “सरकार को कृषि उपकरणों पर लगने वाला टैक्स खत्म कर देना चाहिए। अपने आप कीमतें कम हो जाएंगी। इसके बाद किसानों को कृषि सब्सिडी देने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। अभी मिलने वाली कृषि सब्सिडी का फायदा असल किसान नहीं उठा पा रहे हैं। देशभर में 60 फीसदी कृषि उपकरण ऐसे हैं तो लिए तो जाते हैं खेती के नाम पर लेकिन उनका जमकर व्यवसायिक इस्तेमाल हो रहा है।’’
हालांकि केंद्र सरकार ने सब्सिडी का पैसा सीधे किसानों के खाते में देने की व्यवस्था कर दी है फिर कृषि सब्सिडी में होने वाला घालमेल रुकना मुश्किल लग रहा है। यूपी के लखीमपुर ज़िले के एक और किसान दिलजिंदर सिंह बताते हैं, “कृषि सब्सिडी की ट्रांसफर सुविधा ऑनलाइन होने के बावजूद इसमें व्याप्त भ्रष्टाचार कभी ख़त्म नहीं होगा। जो काबिल और योग्य हैं कृषि उपरकरणों पर मिलने वाली सब्सिडी उन्हें तब भी नहीं मिलेगी। किसानों को पता ही नहीं है कि कृषि सब्सिडी कैसे ली जाए, कैसे उसके लिए आवेदन किया जाए।” वो आगे बताते हैं,
“मैंने दो साल पहले रोटावेटर लिया था। मुझे आज तक उसकी 30 हज़ार रुपए की सब्सिडी नहीं मिल पाई है जबकि मैं उसका इस्तेमाल सिर्फ़ कृषि के लिए कर रहा हूं। लेकिन कुछ लोग हैं जो कृषि कार्य के नाम पर सब्सिडी पर लिए गए कृषि उपकरणों का कमर्शियल इस्तेमाल कर रहे हैं।’’
ऑनलाइन कृषि सब्सिडी सुविधा शुरू किए जाने के बाद भी इसके सही हक़दारों को सब्सिडी मिलती नहीं दिख रही है। कुछ ऐसे मामले भी सामने आए हैं जहां लोग फर्जी कागज़ात के दमकर खुद को किसान बताकर कृषि सब्सिडी का फायदा उठा रहे हैं। यूपी के फैज़ाबाद ज़िले के किसान विवेक सिंह (30 वर्ष) बताते हैं, “सब्सिडी की सुविधा ऑनलाइन होने के बावजूद इसमें भ्रष्टाचार नहीं रोका जा सकता है, क्योंकि लोग कृषि योग्य भूमि के फर्जी कागज़ात दिखाकर भी कृषि उपकरणों पर मिलने वाली सब्सिडी का फायदा उठा रहे हैं। क्योंकि कृषि सब्सिडी के लिए आवेदन करने वालों की कभी जांच नहीं की जाती है।”
वो आगे बताते हैं, “किसी को नहीं पता कि क्या वो वाकई किसान हैं या सिर्फ़ सब्सिडी पाने के लिए फर्ज़ी किसान बने हैं। सरकारी सिस्टम को और पारदर्शी बनाने की ज़रूरत है। असल किसान के पास खेत की जुताई के लिए ट्रैक्टर नहीं हैं और जो किसान नहीं है वो कृषि उपकरणों का कमर्शियल इस्तेमाल कर रहा है।’’लखनऊ यूनिवर्सिटी की सीनियर प्रोफ़ेसर मधुरिमा बताती हैं, “सरकार सब्सिडी के नाम पर जो पैसा देती है उसकी सही तरीके से निगरानी होनी चाहिए। सब्सिडी गरीब किसानों के लिए है लेकिन वो इसका फायदा नहीं उठा पा रहे हैं। किसान और सरकार के बीच काम कर रहे बिचौलियों को खत्म करना होगा तभी इसके सही हक़दार को सब्सिडी मिलेगी।”
वो आगे बताती हैं, “कृषि सब्सिडी के नाम पर अमीर लोग गरीब किसानों का पैसा खा रहे हैं उनपर कार्रवाई होनी चाहिए। कृषि कार्य के लिए खरीदे गए उपकरणों का व्यवसायिक इस्तेमाल गलत है इसके रोकने की ज़िम्मेदारी सरकारी की है। किसी को भी कृषि सब्सिडी देने से पहले उसकी पूरी तरह से छानबीन होनी चाहिए।’’