बरेली: पराली जलाने से हवा में फ़ैल रहा ज़हर, प्रशासन बेखबर

Update: 2017-04-30 11:04 GMT
सख्ती के बाद भी प्रदेश में किसान पराली जला रहे हैं।

अमरकांत, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

बरेली। कृषि विभाग और एनजीटी की सख्ती के बाद भी प्रदेश में किसान पराली जला रहे हैं। बरेली मुख्यालय से 42 किमी दूर नैनीताल राष्ट्रीय राजमार्ग के बसुधरन लिंक रोड पर शेरगढ़ ब्लाक के तुलसी पुर गाँव में किसानों ने पराली जलाई।

किसान राममूर्ति लाल (55 वर्ष) ने कहा, “साहब हम तो पराली जलाते हैं, इसे जोतने में बड़ी ही मशक्कत करनी पड़ती है, जल्दी सड़ती नहीं है। अगर पराली नहीं जलाएंगे तो जुताई की लागत बहुत आती है। हम छोटे किसान हैं, जिसे सीमित साधनों से रोटी मिलती है। अगर लागत बढ़ी तो हम अपने परिवार को क्या खिलाएंगे।” उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश से लगातार पराली जलने की सूचनाएं लगातार आ रही हैं।

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धान की पुआल को पशुचारा, कार्डबोर्ड, कागज और अन्य उत्पादों के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। गेहूं एवं दलहन की पराली से जैविक खाद और जानवरों का चारा बनाया जा सकता है। 
डॉ. आरके सिंह, प्रमुख, किसान हेल्प  

इससे हवा जहरीली होकर लोगों की सेहत को नुकसान पहुंचा रही है। बरेली जिले में कई स्थानों पर किसानों ने खेत में परली जला दी। जिला प्रशासन ने भी इसके लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए। किसान हेल्प के प्रमुख डॉ. आरके सिंह ने कहा, "महाराष्ट्र में पुआल को पशुचारा बनाने की तकनीक विकसित की गई है। पुआल में यूरिया और शीरा मिलाने से पशु के लिए अच्छा आहार बनता है।"

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