भारत में पहली बार लाई जा रही ऐसी गैस जो खेतों और बगीचों को बनाएगी रोगमुक्त

Update: 2017-04-17 15:16 GMT
पम्पिंग सिस्टम से गैस का इस्तेमाल।

लखनऊ। खेती विशेषज्ञों का कहना है कि स्वस्थ मिट्टी पर ही स्वस्थ और बेहतर उत्पादन निर्भर करता है। इसलिए खेतों और बागीचों की मिट्टी को स्वस्थ रखने और फसलों को रोगमुक्त बनाने के लिए भारत भी जुटा हुआ है। भारत में ‘क्लोरोपिकरिन गैस’ का आयात किया जाएगा जिसके जरिए मिट्टी को शुद्ध और स्वस्थ करके खेती की जाएगी।

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गैस आयात का यह फैसला हिमाचल प्रदेश विपणन निगम (एचपीएमसी) के उपाध्यक्ष प्रकाश ठाकुर का है। उन्होंने बताया कि आयात के बाद पहली बार इस गैस का इस्तेमाल देश में किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अमेरिका में भी इसका इस्तेमाल करके खेती की जाती है और अब भारत में भी यहीं से इसका आयात किया जाएगा। ‘मैसर्ज ट्रिनिटी मेन्युफैचरिंग यूएसए’ से इसे खरीदा जा रहा है। फिलहाल शिमला में खास तौर से सेब के बगीचों के लिए इस गैस को मंगवाया जा रहा है। कितनी मात्रा में इसका आयात होगा, इस पर भारत सरकार चर्चा कर रही है।

क्या है स्टेरिलाइज़ेशन?

पौधों और फसलों में ज्यादातर रोग या बीमारी मिट्टी से ही आती है। इसलिए इस गैस की मदद से मिट्टी का ‘स्टेरिलाइज़ेशन’ किया जाता है। पौधों को लगाने से पहले इस गैस का इस्तेमाल होता है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सतह पर मौजूद कवक, बैक्टीरिया, वायरस आदि को खत्म किया जाता है। इसके लिए किसी भी माध्यम से स्टेरिलाइज़ेशन किया जा सकता है। हाई प्रेशर, भाप (स्टीमिंग), कैमिकल, फिल्टर विधि आदि तरीके से इस प्रक्रिया को पूरा किया जा सकता है।

किस तरह से इस्तेमाल की जाती है ये गैस?

क्लोरोपिकरिन गैस को खेतों और बगीचों में मशीनों के जरिए पंप किया जाता है। इस तरह से मिट्टी स्टेरिलाइज़ हो जाती है। यह गैस मिट्टी में मिलकर कई तरह के हानिकारक कीटाणुओं, कीड़ों और फंगस (फफूंद) से खेतों को सुरक्षित करती है। इसके बाद ही पौधे लगाए जाते हैं। इससे पौधों का विकास बेहतर होता है। उन्हें पर्याप्त पोषक तत्व स्वस्थ मिट्टी से मिलते रहते हैं। साथ ही मिट्टी की उर्वरक क्षमता भी बनी रहती है।

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