नहीं शुरू हो पाई पेराई, भटक रहे गन्ना किसान

Update: 2016-11-24 18:54 GMT
बिजनौर के परेशान गन्ना किसान पहुंचे राजधानी के गन्ना संस्थान।

लखनऊ। लखनऊ से लगभग 450 किलोमीटर दूर बिजनौर जिले के सीकरी बुजुर्ग गांव से 16 घंटे की थकाऊ ट्रेन यात्रा करके विजयपाल सिंह के नेतृत्व में कई गन्ना किसान गुरूवार को सुबह 10 बजे गन्ना संस्थान लखनऊ पहुंचे। यह लोग गन्ना और चीनी आयुक्त विपिन कुमार दि्वेदी से मिलकर अपनी समस्या उनको बताना चाह रहे थे। इन किसानों का कहना है कि गन्ना की फसल तैयार होकर खेतों में खड़ी है, लेकिन किसानों को बिना बताए गन्ना क्रय केन्द्रों को बदलने और चीनी मिलों में पेराई नहीं शुरू होने से वह लोग परेशान हैं। अगर जल्द से जल्द उनकी समस्या का निराकरण विभाग की तरफ से नहीं किया तो उनकी फसल बर्बाद हो जाएगी।

सुबह से लेकर शाम तक भटकते रहे

लेकिन सुबह से शाम 4 बजे तक यह गन्ना किसान गन्ना संस्थान में एक अधिकारी के पास से दूसरे अधिकारी के पास चैंबर तक टहलते रहे और लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में इन किसानों का गुस्सा फूट पड़ा। गन्ना किसानों को कहना है कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले सालों में वह लोग गन्ने की फसल से तौबा कर लेंगे।

गन्ना क्रय केन्द्रों को बदलने से किसानों की बढ़ी परेशानी

उत्तर प्रदेश में कुल 117 चीनी मिले हैं, जिसमें राज्य सरकार की एक, सहकारी क्षेत्र की 23 और निजी क्षेत्र की 94 चीनी मिले हैं। उत्तर प्रदेश गन्ना एवं चीनी आयुक्त कार्यालय का कहना है कि 70 चीनी मिलों में पेराई शुरू हो चुकी है, लेकिन किसानों का कहना है कि चीनी मिलो में पेराई का काम आंशिक रूप से ही शुरू हुआ है। किसानों का कहना है कि इस साल गन्ना की फसल अच्छी हुई है। ऐसे में विभिन्न मिले चाहती हैं कि अधिक से अधिक गन्ना उनके मिलों को मिले, जिसको लेकर उन्होंने अपने मन मुताबिक गन्ना क्रय केन्द्रों में फेरबदल करा लिया है। ऐसे में अपने आसपास के जिस क्रय केन्द्र पर गन्ना किसान सालों से अपना गन्ना बेचता है, उसको जानबूझकर उसके गांव से दूर के क्रय केन्द्र को आवंटित कर दिया है।

गन्ना किसानों की जुबानी उनकी परेशानी

गन्ना किसानों की इस समस्या के बारे में लखनऊ आए गन्ना किसान वीरेन्द्र सिंह कहते हैं गन्ना क्रय केन्द्र को बदलने जाने से अफरा-तफरी का माहौल है। गन्ना किसानों को अभी तक पुराना ही बकाया भुगतान नहीं हो रहा है। ऊपर से पेराई सत्र को जानबूझकर लेट और गन्ना क्रेय केन्द्रों में बदलाव करके किसानों को परेशान किया जा रहा है।

गन्ने की खेती से किसानों को हा रहा मोहभंग

उत्तर प्रदेश में गन्ना एक प्रमुख नगदी फसल है। 44 से ज्यादा जिलों में इसकी खेती की जाती है। प्रदेश में 40 लाख किसान प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से गन्ना की खेती से जुड़े हुए हैं। लेकिन गन्ना किसानों को गन्ना का उचित मूल्य नहीं मिलने से प्रदेश में गन्ना की खेती हर साल कम हा रही है। साल 2012-13 में जहां पद्रेश में 24.24 लाख हेक्टेयर में गन्ने की खेती हुई थी, वहीं इस साल 2016-17 में 20.53 लाख हेक्टेयर में गन्ना की खेती हुई है।

सरकार गन्ना और गन्ना किसानों के नाम पर बड़ी-बड़ी योजनाएं चला रही हैं, वहीं दूसरी तरफ स्थिति यह है कि गन्ना किसानों की कहीं कोई सुनवाई नहीं होती। हम पैसा और समय खर्च करके अपनी समस्या बताने के लिए लखनऊ आना पड़ईता है और यहां आकर भी हमारी काई बात नही सुनता। गन्ना विभाग के अधिकारी मिलने तक का वक्त नहीं देते हैं।
मुकेश कुमार, गन्ना किसान

कहते हैं अधिकारी

गन्ना किसानों को अपना गन्ना क्रय केन्द्रों पर देने में कोई समस्या न हो, इसके लिए विभाग ने सभी क्रय केन्द्रों को निर्देश दिया है। लेकिन कुछ क्रय केन्द्रो को बदललने को लेकर गन्ना किसानों का विरोध है। इसपर विभाग ध्यान दे रहा है। गन्ना किसानों को लखनऊ आने की जरुरत नहीं है। उनकी समस्या का समाधान उनके ही जिले में जिला गन्ना अधिकारी या संबंधित विभाग में हो जाएगा। इसको लेकर गन्ना आयुक्त गन्ना एवं चीनी की तरफ से निर्देश भी जारी किया जा चुका है।
विश्वेश कन्नोजिया, संयुक्ता गन्ना आयुक्त, उत्तर प्रदेश

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