रामू गौतम, कम्युनिटी जर्नलिस्ट
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के ग्रामीण क्षेत्र में बसा एक छोटा सा गांव शेरपुर हरी सब्जियों के उत्पादन के लिए जाना जाता है। यहां के छोटे किसान भी साल में विभिन्न प्रकार की हरी सब्जियों की कई फसलें साल में उगा कर अपनी आजीविका मजे से चला रहे थे। जलस्तर गिरने के कारण सिंचाई के अस्थायी साधन बेकार हो रहे हैं और किसान मजदूरी करने पर मजबूर हैं। किसानों का कहना है, “अगर हमारे गाँव में एक नलकूप लग जाता तो बच्चों को दो जून की रोटी खिलाने के लिए मजदूरी करने से बच जायेंगे।”
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मलिहाबाद के ग्रामीण इलाकों में हरी सब्जी की फसल उगाने वाले किसान बेहाल हैं। तेज़ धूप के कारण हरी सब्ज़ियों को पर्याप्त पानी न मिल पाने की वजह से मिर्च, ककड़ी , भिंडी , कद्दू आदि की फसल सूख कर जमीन में गिर रही हैं।
विकास खंड मलिहाबाद गांव के शेरनगर में गर्म व ठण्ड के मौसम में सब्जियों का उत्पादन कर छोटी बड़ी बाजारों में बेचकर अपना घर चलाने वाले रामखेलावन 65 वर्ष ने बताया उनके पास 3 बीघा जमीन है जिस पर वो गेहूं , बंधा, मिर्चा , ककड़ी आदि की किसानी कर अपने घर का भरण पोषण कर रहे हैं, लेकिन पानी की कमी फसल को मार रही है ।
कई बार नेता अधिकारियों से गुहार लगाई । समस्या क्या है सब जानते हैं। साहब लोग ये भी समझते हैं की सिंचाई बिना किसान को क्या दिक्कत होती है, फिर भी जरा सा कलम चलाना मुश्किल है, क्योंकि वो समाजसेवा के लिये नौकरी करने नहीं आए हैं। ”शंकर लाल मौर्य, किसान, शेरनगर
वहीं रजनीश चंद्र मौर्य (55 वर्ष) ने कहा, “ हमारे पास 1 बीघा जमीन है। इसमें करेला , लौकी , घुइयाँ , पपीता के पेड़ लगाकर उसी से व्यवसाय कर अपने बच्चों की पढाई, खाना खर्च शादी-बारात सब निपटा रहे हैं, लेकिन इस बार खेत को देखने की हिम्मत नहीं पड़ रही है। धूप में मरती फसल को देख कर जी बैठ जाता है।”
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