प्रतिबंध के बावजूद भी किसान खेत में ही जला रहे फसल अवशेष

Update: 2017-05-12 17:27 GMT
खेत में गेहूं के डंठल व अवशेष को जलाते किसान। फोटो : साभार नेट

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। कृषि विभाग के चेतावनी के बाद भी प्रदेश में गेहूं की कटाई के बाद खेत में बचे फसल अवशेषों को किसान जला रहे हैं, जबकि विभाग ने इस पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। हाल ही में जब उन किसानों से बात की गई तो पता चला कि ज्यादातर किसानों को इससे होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी ही नहीं है। जानकारों की माने तो फसलों की कटाई और मड़ाई के लिए आधुनिक यंत्र कम्बाइन हार्वेस्टर का प्रयोग किया जा रहा है। इस यंत्र के प्रयोग से धान एवं गेहूं जैसी फसलें, जिनके अवशेष से बना भूसा पशुओं के चारे के इस्तेमाल में आता है, इसकी किल्लत होने लगी है।

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उल्लेखनीय है कि कृषि विभाग के अनुसार इस बार रबी में 510 हजार हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई हुई थी। उत्तर प्रदेश शासन ने प्रदेश भर के सभी जिलों के कृषि अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि सभी अपने जिले में कम्बाइन हार्वेस्टिंग स्ट्रा रीपर विद बाइन्डर या फिर स्ट्रा रीपर का प्रयोग अनिवार्य करें। इसके साथ ही बिना रीपर मशीन के प्रयोग करने वाले कम्बाइन मशीन मालिकों के खिलाफ कार्यवाही भी हो।

किसानों को नहीं पता फसल अवशेष जलाने के नुकसान

बहराइच जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर दूर सिमरिया गाँव की रहने वाली नजमा (35 वर्ष) बताती हैं, “हमारे यहां सभी गेहूं व धान के डंठल को जलाते हैं, इसलिए हम भी अगली फसल के लिए खेत में पड़ा पुआल या गेहूं का डंठल जला देते हैं। हमे नहीं पता इसको जलाने के क्या नुकसान हैं, अगर जलाएंगे नहीं तो करेंगे क्या। इतना समय भी नहीं है कि खेत में पानी लगाकर इसको खेत में सड़ाएं।"

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वहीं सिद्धार्थनगर जिले के बांसी ब्लॉक के सोनौरा गाँव के किसान रमाकांत मिश्रा (45 वर्ष) बताते हैं, "गेहूं काटने के बाद हमें दूसरी फसल की तैयारी करनी होती है, इसलिए हम खेत में आग लगा देते हैं। हमें तो किसी ने बताया कि खेत में आग लगाने से जुर्माना भी लगता है।"

जुर्माना लगाया जाएगा

सिद्धार्थनगर जिले के जिला भूमि संरक्षण अधिकारी रमेश गुप्ता कहते हैं कि एनजीटी के मानकों का पालन कराने के लिए कृषि विभाग मृदा संरक्षण अधिनियम 1936 के तहत एक्शन लिया है। इसके तहत जो भी किसान ऐसा करेगा उसको जुर्माना देना पड़ेगा। फिलहाल इस संबंध में कर्मचारियों को दिशा निर्देश दे दिए गए थे।

कृषि विभाग ने सभी जिलों के कृषि अधिकारियों को किसानों को जागरूक करने को कहा था, लेकिन शायद विभाग किसानों तक अपनी बात नहीं पहुंचा पाए। प्रतापगढ़ जिले के उप निदेशक (कृषि प्रभार) आरके सिंह इस बारे में कहते हैं, "विभाग से सभी जिलों में सूचना आयी थी, हमने पूरी कोशिश की है कि किसानों तक अपनी बात पहुंचा पाए। इसके लिए जगह-जगह पर किसान गोष्ठियां भी की गईं हैं।"

विभाग ने जिले के किसानों को पहले ही बता दिया था, अभी हमें इस बारे में जानकारी नहीं है कि किसी किसान ने खेत में आग लगायी है, जिन्होंने आग लगायी है उन पर जुर्माना लगाया जाएगा।
रमेश गुप्ता, भूमि संरक्षण अधिकारी, सिद्धार्थनगर

आपको बता दें कि ये हाल तब है जबकि उत्तर प्रदेश सरकार ने फसलों के ठूंठों को जलाने पर पाबंदी लगा रखी है, लेकिन किसान इसको भी नहीं मान रहे हैं। इससे पहले दिल्ली और इसके पड़ोस में धुंध रोकने के लिए फसलों की कटाई के बाद खूंटी जलाने पर किसानों पर जुर्माना तय करने वाले राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश को कृषि अपशिष्ट पैदा होने और इनके निपटान के लिए उठाए गए कदमों के बारे में सूचित करने का निर्देश दिया है।

आसान है हार्वेस्टर से कटाई

हार्वेस्टर की मदद से दो एकड़ गेहूं की फसल को बड़ी आसानी से 40 से 45 मिनट के अंदर काट लिया जाता है, जो किसी भी कटाई मशीन की तुलना में बहुत किफायती है। इसीलिए किसान कंबाइन हार्वेस्टर का प्रयोग करने लगे हैं। हार्वेस्टर कटाई करने से वो सिर्फ ऊपर से गेहूं की बालियां काट लेते हैं, बाकी नीचे जो डंठल बचता है वो किसी काम नहीं बचता है। उसे किसान जला देता है, जिससे भूसे की कमीं भी हो जाती है।

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