लखनऊ। किसानों की आय पर कर लगाने और सभी प्रकार के उत्पादन पर छूट खत्म करने के नीति आयोग के सदस्य बिबेक देबराय के सुझाव पर किसानों ने नाराजगी जताई है।
किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता धर्मेन्द्र मल्लिक ने कहा, ‘अगर इस देश किसान आयकर देने में समक्ष रहता तो वह आत्महत्या नहीं करता। नीति आयोग के लोगों को किसानों की स्थिति की सही जानकारी नहीं है। अगर होती तो वह ऐसी बात नहीं करते।’
उन्होंने कहा कि किसानों की आय पर नहीं बल्कि खेती-किसानी के नाम पर व्यापार करने वाली जो बड़ी कंपनियां हैं उनपर आयकर लगाने के साथ ही उनके दी जाने वाली सभी प्रकार की छूट खत्म करनी चाहिए।
बिबेक देबराय को किसान विरोधी करार देते हुए गन्ना किसान राधेश्याम सिंह ने कहा कि सरकार जब बड़े बिजनेस घरानों को हजारों करोड़ की सब्सिडी देती है तो बिबेक देबराय जैसे अर्थशास्त्री चुप हो जाते हैं, लेकिन किसानों की सब्सिडी देख इनके पेट में दर्द होने लगता है। खेतिहर मजदूर संघ के नेता ओम प्रकाश यादव ने कहा कि किसानों की उत्पाद पर कर लगाने की बात करने वाले नीति आयोग के सदस्य को कभी गाँव आकर किसानों की दशा को देख जाए तो उनका विचार बदल जाएगा।
किसानों की स्थिति दयनीय है। सरकार को किसानों खेती के लिए और अधिक सुविधा और सब्सिडी देनी चाहिए जिससे घाटे का सौदा बन रही खेती-किसानी से लोगों का मोहभंग न हो।